घड़ी उद्योग

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घड़ी उद्योग की विकासपरंपरा को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है:-

प्रारंभिक काल[1]

जिसमें विभिन्न अन्वेषकों ने घड़ी निर्माण की नई नई विधियाँ बतलाई और अपने अपने तरीके से घड़ी के प्रारंभिक रूपों के निर्माण करने का प्रयत्न किया। कुछ आरंभिक घड़ियाँ केवल सिंद्धातों के परीक्षण के उद्देश्य से बनाई गई थीं; व्यापारिक पैमाने पर उनका निर्माण नहीं हो सकता था। ऐसे प्रयासों का विशेष जोर यूरोप में ही था।

मध्यकाल (सन्‌ 1800 से 1900 तक)

में घड़ी निर्माण उद्योग प्रारंभ हो गया था। घड़ी के विभिन्न पुर्जे हाथ से अलग अलग बनाए जाते थे और उन्हें यंत्रशाला (फैक्टरी) में लाकर यथास्थान जोड़ सँवारकर घड़ी बनाई जाती थी।

20वीं शताब्दी

में घड़ियों का निर्माण पूर्णतया यांत्रिक विधियों से व्यापारिक पैमाने पर होने लगा और यूरोप तथा अमरीका में घड़ी निर्माण उद्योग की गणना प्रमुख उद्योगों में होने लगी। इस अवधि में विद्युत्‌ घड़ियाँ, दाब-विद्युत्‌-घड़ियाँ (piezzo-electric clocks) इत्यादि अनेक नए प्रकार की घड़ियों का आविष्कार हुआ और अब घड़ी का सर्वाधिक उन्नत रूप, परमाण्वीय घड़ी, भी परिकल्पित हो चुका है।

यूरोप में घड़ी उद्योग

यूरोप में घड़ी निर्माण के केंद्र पहले[2] ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस थे। बाद में जर्मनी से कम मूल्यवाली घड़ियों के आयात के कारण इन देशों के घड़ी उद्योग को धक्का लगा। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान में ब्रिटेन की सरकार ने वहाँ के मृतप्रय घड़ी उद्योग को पुनर्जीवित किया। अनेक नए घड़ी निर्माण प्रतिष्ठान स्थापित किए गए और बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य प्रारंभ कराया गया। उसी समय संयुक्त राज्य अमरीका, में आविष्कृत विद्युत्‌ घड़ियों का प्रचलन बढ़ने लगा। ब्रिटेन ने इस ओर भी अपना हाथ बढ़ाया और कुछ ही समय में विद्युत्‌ घडियों के निर्माण में अपना स्थान अन्यतम बना लिया। संप्रति लंदन, कवेंट्री, लिवरपूल, मैनचेस्टर, बरमिंघम, प्रेस्टन, ग्लासगो और डंडी घड़ी निर्मण एवं व्यापार के प्रमुख केंद्र हैं। ब्रिटेन के अतिरिक्त स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस और जर्मनी विश्व में घड़ी उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं। घड़ी के पुर्जों के निर्माण में स्विट्ज़रलैंड का स्थान विश्व में सर्वप्रथम है और यहाँ की बनी घड़ियाँ सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं। यहाँ से संसार के प्राय: सभी घड़ी उद्योग केंद्रों में पुर्जों का निर्यात होता है।

अमेरिका में घड़ी उद्योग

संयुक्त राज्य अमरीका में घड़ी उद्योग का जन्म कनेक्टिकट के एल टेरी (El Terry, सन्‌ 1772-1852) द्वारा हुआ। वह लकड़ी की घड़ियाँ बनाकर आसपास के किसानों के हाथ बेचा करता था। यांत्रिक विधियों से घड़ी का निर्माण सर्वप्रथम उसी ने प्रारंभ किया था। उसका सहायक सेठ थॉमस (Seth Thomas) दूसरा घड़ी उद्योगपति हुआ। लगभग उसी समय चॉन्सी जेरोम (Chauncey Jerome) ने घड़ी के विभिन्न अवयवों के निर्माण में लकड़ी के बदले पीतल का प्रयोग करना आरंभ किया। उसकी घड़ियाँ अधिक टिकाऊ होने के कारण शीघ्र ही लोकप्रिय हो गईं। इस सफलता से प्रेरित होकर, जेरोम ने ई. डी. ब्रायंट (E.D. Bryant) तथा ऐन्सोनिया ब्रास ऐंड कॉपर कंपनी के सहयोग से घड़ी निर्माण के निमित्त प्रथम व्यापारिक संस्थान, ऐन्सोनिया क्लॉक कंपनी, की स्थापना की।

घड़ी उद्योग का तीसरा महत्वपूर्ण युग इंगरसोल की क्रांति (सन्‌ 1892) से प्रारंभ हुआ अब सर्वसाधरण के उपयोग के लिये तथा उसकी क्रयशक्ति के अनुकूल घड़ियों का बहुत बड़े पैमाने पर निर्माण होने लगा। उसके बाद तो विद्युत्‌ एवं दाब विद्युत्‌ घड़ियों का आविष्कार हो जाने से घड़ी उद्योग में क्रांति का आविर्भाव हुआ। इधर संयुक्त राज्य अमरीका, के नैशनल ब्यूरो ऑव स्टैंडड्सं ने परमाण्वीय घड़ियों के निर्माण की भी सूचना दी है, जिसके शीघ्र ही प्रारंभ होने की आशा है। अमरीका में प्रमुख घड़ी उद्योग केंद्र कनेक्टिकट (ब्रिस्टल, न्यूहैवेन और प्लाइमाउथ), मैसैचुसेट्स (बोस्टन) तथा इलिनॉयं (प्रिटोरिया) हैं।

भारत में घड़ी उद्योग

भारत में घड़ी उद्योग की ओर अब ध्यान दिया जाने लगा है और हाल में पूना तथा बंगलोर में घड़ी के कारखाने स्थापित हुए हैं, किंतु अभी उत्पादन की गति अत्यंत मंद है। अधिकांश पुर्जे अमरीका, ब्रिटेन अथवा स्विट्जरलैंड से मँगाने पड़ते हैं। इस कारण इनका निर्माणव्यय अधिक पड़ जाता है। इस दृष्टि से इस उद्योग का संप्रति शैशव है, किंतु भारत सरकार इसे उन्नत बनाने के लिये सचेष्ट है।[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ईसा की 10वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी के बीच तक का काल
  2. 17वीं और 18वीं शताब्दी में
  3. घड़ी उद्योग (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 19 अक्टूबर, 2014।

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