मिसरिख

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:57, 18 February 2014 by Dr, ashok shukla (talk | contribs)
Jump to navigation Jump to search

मिसरिख पुरातात्विक महत्व का क्षेत्र है जहां महर्षि दधीचि द्वारा देवताओं के उद्धार हेतु अपने शरीर का दान किया गया था महर्षि दधीचि के द्वारा जिस स्थान पर अपने शरीर का त्याग किया गया था उस स्थान पर अब एक पवित्र कुण्ड है ।

प्राचीन धर्मकथा

हिन्दू धर्मकथाओं के अनुसार देवता असुर संग्राम में महर्षि दधीचि ने अपनी हड्डियों से वजा्रस्त्र बनाने के लिये अपने शरीर का त्याग यहीं किया था वह स्थान अब यहाँ मिश्रित तीर्थ के रूप में जाना जाता है।जब महर्षि दधीचि ने अपने शरीर के त्याग का निर्णय लिया तो उनके शरीर पर पवित्र गंगाजल उँडेला जाता रहा और गौमाता के द्धारा उनके शरीर को तब तक चाटा जाता रहा जब तक कि वह हड्डियों का ढ़ांचे के रूप में परिवर्तित नहीं हो गया। अवशेष हड्डियों से बने वज्रास्त्र की सहायता से ही देवताओं को विजय की प्राप्ति हो सकी। महर्षि के शरीर पर उँडेले गये पवित्र जल से ही इस सरोवर का निर्माण हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः