करेला

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करेले का जन्म स्थान पुरानी दुनिया के उष्ण क्षेत्र अफ्रीका तथा चीन माने जाते हैं। करेले का वानस्पतिक नाम मिमोर्डिका करन्शिया है। यहाँ से इनका वितरण संसार के अन्य भागों में हुआ। भारत में इसकी जंगली जातियाँ आज भी उगती हुई देखी गयी हैं।[1]

करेले की खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है। इसका फल तथा फलों के रस को दवाओं के लिए भी प्रयोग किया जाता है।[2]

औषधीय गुण

मनुष्य के लिए करेला परम हितकारी और औषधीय गुणों का भंडार है। भूख को बढ़ाकर करेला हमारी पाचन शक्ति को सुधारता है। पचने में करेला हल्का होता है। गर्मी से उत्पन्न विकारों पर शीतल होने के कारण यह शीघ्र लाभ करता है। करेला बुखार, खाँसी, त्वचा के विकार, एनीमिया, प्रमेह तथा पेट के कीड़ों का नाशक है।[3]

  • स्वास्थ्य के लिए करेला बहुत ही अच्छा होता है। विशेषकर मधुमेह या डाईबिटीस के लिए।
  • यह एक एंटीऑक्सिडेंट है और शर्करा के मेटाबोलिजम को बढ़ाता है।
  • इसमें आयरन, विटामिन सी, केल्शियम,पोटेशियम एवं बीटा केरोटिन आदि तत्व पाए जाते हैं।
  • यह सब तत्व शरीर को बीमारियों से बचाते हैं, किसी ने सच ही कहा है।
  • यह लीवर को ताकत देता है तथा आँतों में कीड़ों से होने वाले विकारों से भी सुरक्षा देता है।
  • यह कैंसर से भी शरीर को बचाता है एवं चर्म रोगों में भी काफी लाभदायक होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. करेला (हिन्दी) उत्तरा कृषि प्रभा। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010
  2. करेला (हिन्दी) डिजिटल मण्डी। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010
  3. कड़वा किन्तु कमाल का करेला (हिन्दी) (एच टी एम) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2010

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