गुप्तकालीन कला और स्थापत्य
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गुप्त काल में कला की विविध विधाओं जैसे वस्तं स्थापत्य, चित्रकला, मृदभांड कला आदि में अभूतपूर्ण प्रगति देखने को मिलती है। गुप्त कालीन स्थापत्य कला के सर्वोच्च उदाहरण तत्कालीन मंदिर थे। मंदिर निर्माण कला का जन्म यही से हुआ। इस समय के मंदिर एक ऊँचे चबूतरें पर निर्मित किए जाते थे। चबूतरे पर चढ़ने के लिए चारों ओर से सीढ़ियों का निर्माण किया जाता था। देवता की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया था और गर्भगृह के चारों ओर ऊपर से आच्छादित प्रदक्षिणा मार्ग का निर्माण किया जाता था। गुप्तकालीन मंदिरों पर पाश्वों पर गंगा, यमुना, शंख व पद्म की आकृतियां बनी होती थी। गुप्तकालीन मंदिरों की छतें प्रायः सपाट बनाई जाती थी पर शिखर युक्त मंदिरों के निर्माण के भी अवशेष मिले हैं। गुप्तकालीन मंदिर छोटी-छोटी ईटों एवं पत्थरों से बनाये जाते थे। ‘भीतरगांव का मंदिर‘ ईटों से ही निर्मित है।
गुप्तकालीन महत्वपूर्ण मंदिर
मंदिर | स्थान |
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1- विष्णुमंदिर | तिगवां (जबलपुर मध्य प्रदेश) |
2- शिव मंदिर | भूमरा (नागोद मध्य प्रदेश) |
3- पार्वती मंदिर | नचना-कुठार (मध्य प्रदेश) |
4- दशावतार मंदिर | देवगढ़ (झांसी, उत्तर प्रदेश) |
5- शिवमंदिर | खोह (नागौद, मध्य प्रदेश) |
6- भीतरगांव का मंदिर लक्ष्मण मंदिर (ईटों द्वारा निर्मित) | भितरगांव (कानपुर, उत्तर प्रदेश) |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ