पंडुआ

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:46, 3 March 2011 by हिना गोस्वामी (talk | contribs) ('{{tocright}} पश्चिम बंगाल में लखनौती से 20 मील दूर पंडुआ स्थ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

पश्चिम बंगाल में लखनौती से 20 मील दूर पंडुआ स्थित है। यह बंगाल की प्राचीन राजधानी थी। अलाउद्दीन अली शाह (1339-45 ई.) के समय बंगाल की राजधानी पंडुआ ही थी।

इतिहास

यहाँ स्थित अदीना मस्जिद (जामा मस्जिद) एक प्रसिद्ध भग्रावशेष है, जिसे बंगाल के शासक सिकन्दरशाह (1358-90 ई.) के शासन काल में 1360 ई. के आस-पास निर्मित किया गया। इस मस्जिद में 400 गुम्बद हैं। मस्जिद की पिछली दीवार और उत्तर हॉल से सटे वर्गाकार कक्ष में इसके निर्माता सिकन्दरशाह की क़ब्र है। यह मस्जिद ईंटों की ऊँची दीवार से घिरी हुई थी, जिसके तीन ओर छत्ता था। आश्चर्य की बात है कि इतनी बड़ी इमारत का प्रवेश द्वार उतना बड़ा नहीं है।

विशाल मस्जिद=

उत्तर से दक्षिण तक यह विशाल मस्जिद 507.5 फुट और पूरब से पश्चिम तक 285.5 फुट है। पूर्वी भारत में बनाई गई यह सबसे महत्त्वाकांक्षापूर्ण इमारत है। बंगाल में इसे एक आश्चर्य माना जाता है किंतु वास्तुकला इतिहासकार सर जान मार्शल का कहना है कि 'यह मस्जिद अपने आकार के अनुरूप सौन्दर्यपूर्ण नहीं है।' इस इमारत के विधान में उचित अनुपात एवं सामंजस्य के अभाव की वजह से ही कनिंघम ने इसकी बनावट मस्जिद से ज़्यादा ऊँटो की कारवां-सराय के ज़्यादा उपयुक्त मानी है। इस मस्जिद पर हिन्दू वास्तुकला का प्रभाव स्पष्टतः दृष्टिगोचर होता है क्योंकि इसके कई भाग पुराने हिन्दू मन्दिर एवं महलों के अवशेष हैं।

मक़बरा

पंडुआ में ही जलालुद्दीन मुहम्मदशाह (1418-31ई.) का मक़बरा भी है। यह एक अन्य सुन्दर इमारत है। इसे बंगाल के सुन्दरतम मक़बरों में गिना जाता है। इसे इखलाखी मक़बरा कहते हैं। इसकी मुख्य विशेषता मेहराब एवं धरन का सुन्दर संयोग है। पंडुआ 14 वीं शताब्दी में चिश्ती सिलसिला की गतिविधियों का केन्द्र बना।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः