जम्मू और कश्मीर की कृषि

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:24, 5 June 2011 by फ़ौज़िया ख़ान (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}} जम्मू और कश्मीर राज्‍य की लगभग 80 प्रति...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

जम्मू और कश्मीर राज्‍य की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्‍या कृषि पर निर्भर है। धान, गेहूँ और मक्‍का यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। कुछ भागों में जौ, बाजरा और ज्‍वार उगाई जाती है। लद्दाख में चने की खेती होती है। फलोद्यानों का क्षेत्रफल 242 लाख हेक्‍टेयर है। राज्‍य में 2000 करोड़ रुपये के फलों का उत्‍पादन प्रतिवर्ष होता है जिसमें अखरोट निर्यात के 120 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। जम्मू-कश्‍मीर राज्‍य सेब और अखरोटों के लिए कृषि निर्यात क्षेत्र घोषित किया गया है। बाज़ार हस्‍तक्षेप योजना की शुरूआत से उचित ग्रेडिंग सुनिश्चित करते हुए फलों की गुणवत्ता में सुधार लाया जाता है। 25 लाख से अधिक लोगों को प्रत्‍यक्ष अथवा रूप से बागवानी क्षेत्र से रोजगार मिलता हैं।

कश्मीरी जनसंख्या का अधिकांश भाग विविध तरीक़ों की खेती में लगा हुआ है, जिन्हें स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप ढाला गया है। चावल, जो यहाँ का मुख्य भोजन है, मई में बोया जाता है और सितंबर में काटा जाता है। मक्का, ज्वार, बाजरा, दलहन[1] कपास और तम्बाकू, चावल के साथ गर्मी की मुख्य फ़सलें है, जबकि गेहूँ व जौ बसन्त की प्रमुख फ़सलें हैं। कई शीतोष्ण फल व सब्ज़ियाँ शहरी बाज़ारों के नज़दीक क्षेत्रों में उगाई जाती है या काफ़ी पानी वाले क्षेत्रों में, जहाँ की भूमि अच्छी तरह सिंचित और उपजाऊ है। कश्मीर की घाटी में बड़े-बड़े बाग़ों में सेब, नाशपाती, आडू, अखरोट, बादाम और चेरी उगाए जाते हैं। कश्मीर की घाटी उपमहाद्वीप में केसर की एकमात्र उत्पादक है। झील के किनारों पर विशेष तौर पर सब्ज़ियाँ और फूलों की गहन खेती होती है। ऐसा ही पुनर्प्राप्त दलदली ज़मीन या तैरते हुए बग़ीचों में किया जाता है। भूमि पर जनसंख्या का दबाव सब जगह प्रकट होता है और सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया जाता है। झील और नदियाँ मछलियाँ, सिंघाड़े तथा जल विद्युत उपलब्ध कराती हैं और इनका उपयोग यातायात के लिए भी किया जाता है। जो पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण भी है। पर्वतों से कई प्रकार की लकड़ी प्राप्त होती है और वहीं भेड़ों और दुग्ध उत्पादक जानवरों को चरागाह मिलते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (फलियाँ जैसे मटर, सेम तथा मूंग)

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः