उत्कल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:41, 27 July 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - ")</ref" to "</ref")
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
चित्र:Disamb2.jpg उत्कल एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- उत्कल (बहुविकल्पी)

उत्कल उत्तरी ओडिशा का प्राचीन नाम जिसे उत् (उत्तर) कलिंग का संक्षिप्त रूप माना जाता है। कुछ विद्वानों के मत में द्रविड़ भाषाओं में ओक्कल किसान का पर्याय है और उत्कल इसी का रूपांतर है।[1] उत्कल का प्रथम उल्लेख सम्भवत: सूत्रकाल (पूर्वबुद्धकाल) में मिलता है। कालिदास ने रघुवंश 4, 38 में उत्कल निवासियों का उल्लेख रघु की दिग्विजय के प्रसंग में कलिंग विजय के पूर्व किया है-

'स तीर्त्वा कपिशां सैन्यैर्बद्धद्विरदसेतुभि:,
उत्कलादर्शितपथ: कलिंगाभिमुखो ययौ'।

इससे स्पष्ट है कि कालिदास के समय में अथवा स्थूलरूप से, पूर्वगुप्तकाल में उत्कल उत्तरी उड़ीसा और कलिंग दक्षिणी उड़ीसा को कहते थे। उड्र, उड़ीसा के समग्र देश का सामान्य नाम था जो महाभारत में सभा पर्व महाभारत 31, 71 में उल्लिखित है। मध्यकाल में भी उत्कल नाम प्रचलित था। दिब्बिड़ दानपत्र[2] से सूचित होता है कि उत्कल नरेश जयत्सेन ने मत्स्यवंशीय राजा सत्यमार्तंड के साथ अपनी पुत्री प्रभावती का विवाह किया था और उसे ओड्डवाडी का शासक नियुक्त किया था। इसकी 23 पीढ़ियों के पश्चात 1269 ई. में उत्कल का राजा अर्जुन हुआ था जिसने यह दानपत्र प्रचलित किया था।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (देखें दि हिस्ट्री आव उड़ीसा; महताब, पृ. 1
  2. एपिग्राफिका इंडिका- जिल्द 5, 108

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः