तब मेरी पीड़ा अकुलाई! -गोपालदास नीरज

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तब मेरी पीड़ा अकुलाई! -गोपालदास नीरज
कवि गोपालदास नीरज
जन्म 4 जनवरी, 1925
मुख्य रचनाएँ दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तकी, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, बादलों से सलाम लेता हूँ, कुछ दोहे नीरज के
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
गोपालदास नीरज की रचनाएँ

तब मेरी पीड़ा अकुलाई!
जग से निंदित और उपेक्षित,
होकर अपनों से भी पीड़ित,
जब मानव ने कंपित कर से हा! अपनी ही चिता बनाई!
तब मेरी पीड़ा अकुलाई!

सांध्य गगन में करते मृदु रव
उड़ते जाते नीड़ों को खग,
हाय! अकेली बिछुड़ रही मैं, कहकर जब कोकी चिल्लाई!
तब मेरी पीड़ा अकुलाई!

झंझा के झोंकों में पड़कर,
अटक गई थी नाव रेत पर,
जब आँसू की नदी बहाकर नाविक ने निज नाव चलाई!
तब मेरी पीड़ा अकुलाई!









टीका टिप्पणी और संदर्भ

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