गंध की पंखुरियों पर बूँदों का पहरा अंतर का तरलायित दर्द बिखर ठहरा। झिलमिल-सी ज़िंदगी है ये ठहरा जल सत्य के झरोखों से झाँक रहा छल। इंद्रधनुष-सा भविष्य दे दिया जनम ने। आलस के बीच-मंत्र सिद्ध किए हमने। शेखियाँ बघारते गई उमर निकल, ललक रहे बोये बिन काटने फसल। चटख-चटख रंगों में ज़िंदगी नई। मुट्ठी भर रोशनी सही नहीं गई, लंगड़ाती ताबों का अगुआ हर दल। आस के धुँधलकों की धारा अविरल। मुट्ठियाँ हवाओं में तान-तान सोचा हाय कुछ न आया तो ख़ालीपन नोचा। सिसिफस का शाप जिया करते हर पल! इसी तरह मुरझ गए शतदली कमल!
अशोक चक्रधर · आलोक धन्वा · अनिल जनविजय · उदय प्रकाश · कन्हैयालाल नंदन · कमलेश भट्ट कमल · गोपालदास नीरज · राजेश जोशी · मणि मधुकर · शरद जोशी · प्रसून जोशी · कुमार विश्वास · डॉ. तुलसीराम · रमाशंकर यादव 'विद्रोही' · बागेश्री चक्रधर