हवा में घुल गया शीत बेशरम ऐय्यार छीन रहा वादियों की हरी चुनरी ! लजाती ढलानें हो रही संतरी फिर पीली और भूरी ! मटमैला धूसर आकाश नदी पारदर्शी संकरी ! काँप कर सिहर उठी सहसा कुछ बदरंग पत्तियाँ छूट उड़ी शाख से सकुचाती मेरी खिड़की की काँच से चिपक रह गई एकाध ! दरवाज़े की झिर्रियों से सेंध मारता आखिरी अक्तूबर का वह बदमज़ा अहसास ज़बरन लिपट गया मुझ से ! लेटी रहेगी एक कुनकुनी उम्मीद मेरे बगल में एक ठण्डी मुर्दा लिहाफ के नीचे कि फूट जाएगीं कोंपलें लौट आएगी अगले मौसम तक भोजवन में ज़िन्दगी .
नैनगार 18.10.2005
अशोक चक्रधर · आलोक धन्वा · अनिल जनविजय · उदय प्रकाश · कन्हैयालाल नंदन · कमलेश भट्ट कमल · गोपालदास नीरज · राजेश जोशी · मणि मधुकर · शरद जोशी · प्रसून जोशी · कुमार विश्वास · डॉ. तुलसीराम · रमाशंकर यादव 'विद्रोही' · बागेश्री चक्रधर