गाँव में चक्का तलाई -अजेय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 16:35, 10 January 2012 by प्रकाश बादल (talk | contribs) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Ajey.JPG |चि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
गाँव में चक्का तलाई -अजेय
कवि अजेय
जन्म स्थान (सुमनम, केलंग, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अजेय् की रचनाएँ


मेरे गाँव की गलियाँ पक्की हो गईं हैं.

गुज़र गई है एक धूल उड़ाती सड़क
गाँव के ऊपर से
खेतों के बीचों बीच
बड़ी बड़ी गाड़ियाँ
लाद ले जातीं हैं शहर की मंडी तक
नकदी फसल के साथ
मेरे गाँव के सपने
छोटी छोटी खुशियाँ – -

कच्ची मिट्टी की समतल धुपैली छतों से
उड़ा ले गया है हेलिकॉप्टर
सुकून का एक नरम गरम टुकड़ा
ऊन कातती औरतें
चिलम लगाते बूढ़े
‘छोलो’ की मंडलियाँ
और विष-अमृत खेलते छोटे छोटे बच्चे --
उड़ा ले गया है
सर्दियों की सारी चहल पहल


मेरे गाँव के घर भी पक्के हो गए हैं
रंगीन टी वी के नकली किरदारों मे जीती
बनावटी दुक्खों से कुढ़ती
ज़िन्दगी उन घरों के
भीतरी ‘कोज़ी’ हिस्सों मे क़ैद हो गई है
किस जनम के करम हैं कि
यहाँ फँस गए हैं हम !
   कैसे निकल भागें पहाड़ों के उस पार ?

आए दिन फटती है खोपड़ियाँ जवान लड़कों की *
कितने दिन हो गए पूरे गाँव को मैंने
एक जगह
एक मुद्दे पर इकट्ठा नहीं देखा
   
भौंचक्का , भूल गया हूँ गाँव आ कर
अपना मक़सद
शर्मसार हूँ अपने सपनों पर
मेरे सपनों से बहुत आगे निकल गया है गाँव

बहुत ज़्यादा तरक़्क़ी हो गई है
मेरे गाँव की गलियाँ पक्की हो गई हैं.


ताँदी पुल रेन शेल्टर 11.10.1985


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः