आग के इलाक़े में आओ -अजेय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 16:58, 10 January 2012 by प्रकाश बादल (talk | contribs) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Ajey.JPG |चि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
आग के इलाक़े में आओ -अजेय
कवि अजेय
जन्म स्थान (सुमनम, केलंग, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अजेय् की रचनाएँ

कब तक टालते रहोगे
एक दिन आना ही होगा तुम्हें
आग के इलाके में
जहाँ जल जाता है वह सब जो तुमने ओढ़ रखा है
और जो नंगा हो जाने की जगह है
जहाँ से बच निकलने का कोई चोर दरवाज़ा नहीं है

तुम्हें आना चाहिए
स्वयं को परखने के लिए
बार-बार
आग के इस इलाके में

ज़रूरी नहीं कि तपकर तुम्हें सोना ही होना है

सौंधी और खरी
बेशक भुरभुरी
मिट्टी होने के लिए जो हवा में उड़ जाती है

और हवा होने के लिए भी
जो भर सकती है तमाम सूनी जगहों को
जो पतला है पानी से भी

और पानी होने के लिए भी
ढोता हुआ अपना पूरा वज़न जो
पहुँच सकता है आकाश तक

और आकाश होने के लिए भी
क्योंकि वही तो था आखिर
जब कुछ भी नहीं था
फिर सब कुछ हुआ जहाँ
और उस प्रचुरता को
भरपूर भोग लेने को उद्धत आतुर जीव भी हुए
और जीवों में श्रेष्ठतम तुम हुए
आदमी
अपनी ही एक आग लिए हुए भीतर

बोलो
खो देना चाहते हो क्या वह आग ?

अगर नहीं
वह आग होने के लिए
फिर से तुम्हें आना चाहिए
बार- बार आना चाहिए
आग के इलाके में !

अगस्त 2007


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः