Revision as of 17:42, 10 January 2012 by प्रकाश बादल(talk | contribs)('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Ajey.JPG |चि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
दोस्तो हम यहाँ इस लिए आए हैं
कि काम की जगहों पर
रोज़ मर्रा की झंझटों में
चुक जाते हैं हम
छीजने लगती है चीख
बुझने लगती है आग
भोथरा जाती है सोच
भूल जाते हैं हम
कि कोई रोता था
हमसे सहा न गया था
और खड़े हो गए थे उस के पक्ष में
कि काम की जगहों पर
याद नहीं रह पाता
कि हमें खड़े ही रहना था .
दोस्तो हमें यहाँ आते रहना चाहिए
इस या उस बहाने
और करते रहना चाहिए
एक दूसरे को रिचार्ज
कि कितना अच्छा लगता है
नई चीख
नई आग
और नई धार लिए काम पर लौटना.