Revision as of 17:47, 10 January 2012 by प्रकाश बादल(talk | contribs)('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Ajey.JPG |चि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
टीन कूटते लड़कों का उत्साह
दुबली लड़की की चौखट के सामने जो वर्कशॉप है
वहाँ ‘लाईन’ पर डकड़ूँ बैठे रहते हैं
कुछ मुस्कराते चेहरे।
उनके चौड़े कन्धों पर उगी रहती हैं बलिष्ठ भुजाएं
जिनमें से बढ़कर आगे निकला हुआ उत्साह
हर सुबह मज़बूत हाथों से
कूटता है टीन
टीन- टीन- टीन -----
बजती रहती है उसी लय में
विविध भारती
हो सकता है कुछ गा रहें हों वे होंठ
हो सकता है उस दुबली लड़की के लिए
हो सकता है दूर गाँव में अपनी प्रेमिकाओं के लिए
ऐसे समय में जबकि दूभर होता जा रहा है सुनना
कोशिश करता हूँ कान लगा कर समझने की
अगरबत्तियों की खुशबुओं
और मन्दिर जैसे भोर के बाज़ार को।
दुबली लड़कियों की आऊटिंग
टीन कूटते लड़के के सामने
जो दर्जियों का
एक चोर दरवाज़ा है छोटा सा
आँखें मलती
रंग-बिरंगी सलवटें झाड़ती
झुक-झुक कर एक के बाद एक
निकल रही हैं वहाँ से
दुबली-दुबली उंगलियाँ
पतली-पतली अंजुरियाँ
छलकती ताज़ा किरणों के
सामूहिक अर्घ्य से तर होती हैं हर सुबह
गली में बिछी ईटें
टीन कूटता लड़का
देख लेना चाहता है नज़र भर
और पकड़ लेना उनकी कनबतियाँ
फिसलती निगाहों से जबकि छिटकता जाता है
दुबली लड़कियों का गुच्छा
अलग-अलग फुसफुसाहटों में
अगले ही पल
एक कतार समा रही है
चोर दरवाज़े में
बकरियाँ, मुर्गियाँ
भीतर की नीम अँधेरी
सीलन भरी घरघराहटों में
जुती रहेगी दुबली लड़कियों की चेतना
मशीनों पर झुकी रहेंगी गर्दनें दिन भर
देर रात तक
प्रत्यर्पित
जैसे कसाई के ठीहे पर
बकरियां और मुर्गियां...............
कौए, कुत्ते
गायब हो जाएंगी मुस्कराहटें शाम तक
गर्द पड़ जाएगी चौखटों पर
धूल और घाम में चिड़चिड़ा जाएगा
आगे बढ़े हुए हाथों का उत्साह
दुर्गन्ध उठ रही होगी
सड़ रहे गोश्त से
वध स्थल पर
मंडराने लगेंगे कौए
पहुँच जाएंगे सूँघते हुए
बड़े-बड़े पीले दांतों वाले कुत्ते।