चिड़िया की उड़ान -अशोक चक्रधर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:14, 1 March 2012 by फ़ौज़िया ख़ान (talk | contribs) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Khidkiyan.jpg |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चिड़िया की उड़ान -अशोक चक्रधर
कवि अशोक चक्रधर
प्रकाशक डायमण्ड पॉकेट बुक्स, नई दिल्ली
देश भारत
पृष्ठ: 173
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
अशोक चक्रधर की रचनाएँ


चिड़िया तू जो मगन, धरा मगन, गगन मगन,
फैला ले पंख ज़रा, उड़ तो सही, बोली पवन।
अब जब हौसले से, घोंसले से आई निकल,
चल बड़ी दूर, बहुत दूर, जहां तेरे सजन।

वृक्ष की डाल दिखें
जंगल-ताल दिखें
खेतों में झूम रही
धान की बाल दिखें
गाँव-देहात दिखें, रात दिखे, प्रात दिखे,
खुल कर घूम यहां, यहां नहीं घर की घुटन।
चिड़िया तू जो मगन....

राह से राह जुड़ी
पहली ही बार उड़ी
भूल गई गैल-गली
जाने किस ओर मुड़ी

मुड़ गई जाने किधर, गई जिधर, देखा उधर,
देखा वहां खोल नयन-सुमन-सुमन, खिलता चमन।
चिड़िया तू जो मगन...

कोई पहचान नहीं
पथ का गुमान नहीं
मील के नहीं पत्थर
पांन के निशान नहीं
ना कोई चिंता फ़िक़र, डगर-डगर, जगर मगर,
पंख ले जाएं उसे बिना किए कोई जतन।

चिड़िया तू जो मगन, धरा मगन, गगन मगन,
फैला ले पंख ज़रा, उड़ तो सही, बोली पवन।
अब जब हौसले से, घोंसले से आई निकल,
चल बड़ी दूर, बहुत दूर, जहां तेरे सजन।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः