बुंदेलखंड अंग्रेज़ी राज्य में विलयन

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छत्रसाल के समय तक बुंदेलखडं की सीमायें अत्यंत व्यापक थीं।

इस पूर भूभाग का क्षेत्रफल लगभग 3000 वर्गमील था। बुंदेलखंड में अनेक जागीरें और छोटे छोटे राज्य अंग्रेज़ी राज्य में आने से पूर्व थे। बुंदेलखंड कमिश्नरी का निर्माण सन् 1820 में हुआ। सन् 1835 में जालौन, हमीरपुर, बाँदा के ज़िलों को उत्तर प्रदेश और सागर के ज़िले को मध्यप्रदेश में मिला दिया गया था, आगरा से इनकी देख रेख होती थी। सन् 1839 में सागर और दामोह ज़िले को मिलाकर एक कमिश्नरी बना दी गई झाँसी से जिसकी देखरेख होती थी। झाँसी से नौगाँव में कुछ दिनों बाद कमिश्नरी का कार्यालय आ गया। सन् 1842 में सागर, दामोह ज़िलों में अंग्रेज़ों के खिलाफ़ बहुत बड़ा आन्दोलन हुआ परंतु फूट डालने की नीति के द्वारा शान्ति स्थापित की गई। इसके बाद बुंदेलखंड का इतिहास अंग्रेज़ी साम्राज्य की नीतियों की ही अभिव्यक्ति करता है। भारत के अनेक शहीदों द्वारा समय समय पर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए आन्दोलन छेड़े गए परंतु गाँधी जी जैसे नेता के आने से पहले कुछ ठोस उपलब्धि संभव न हुई। बुंदेलखंड का इतिहास आदि से अंत तक विविधताओं से भरा है परंतु सांस्कृतिक और धार्मिक एकता की यहाँ एक स्वस्थ परंपरा है।

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