कामवालियाँ -किरण मिश्रा

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कामवालियाँ -किरण मिश्रा
पूरा नाम डॉ. किरण मिश्रा
जन्म 12 अक्टूबर, 1980
जन्म भूमि अंबिकापुर, छत्तीसगढ़
मुख्य रचनाएँ समाजशास्त्र: एक परिचय
भाषा हिन्दी
शिक्षा परास्नातक (समाजशास्त्र)
पुरस्कार-उपाधि माटी साहित्य सम्मान (2013), सरस्वती सम्मान (2012), निरालाश्री पुरस्कार (2015) आदि
नागरिकता भारतीय
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
किरण मिश्रा की रचनाएँ

कामवालियाँ,
पल से पहर होते समय में भी
चलती रहती है हौले-हौले
तब भी जब गर्मी में मेरे दालान में घुस आती है धूप
आग की लपटों जैसी
और तब भी जब सर्दी की रजाई ताने
मौसम सोता है कोहरे में
पानी के थपेड़ों के साथ
हवाओं की कनात में लिपटी भी दिखाई देती है।
ये कामवालियाँ,
बेजान दिनों पर सांस लेते समय सरकता है
फिर भी ये खिलती है हर सुबह
तिलचट्टे सी टीन छप्पर से निकल
विलीन हो जाती है बंगलों में
अपनी थकान और बुखार के साथ
मासूम भूख के लिए
रात को बिछ जाती है ग़मों की चादर ओढे,
इस तरह हर मौसम में
बहती रहती है ख़ामोशी से
सपाट चेहरे और दर्द के साथ
जिनके लिये कोई विशेष दिन नहीं होता
आठ मार्च जैसा सेलिब्रेट करने को।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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