सदा नगारा कूच का -रहीम

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सदा नगारा कूच का, बाजत आठौं जाम।
‘रहिमन’ या जग आइकै, को करि रहा मुकाम॥

अर्थ

आठों ही पहर नगाड़ा बजा करता है इस दुनिया से कूच कर जाने का। जग में जो भी आया, उसे एक-न-एक दिन कूच करना ही होगा। किसी का मुकाम यहां स्थायी नहीं रह पाया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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