बड़े दीन को दुःख सुने -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:51, 20 February 2016 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) ('<div class="bgrahimdv"> बड़े दीन को दुःख सुने, लेत दया उर आनि ।<br /> हर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

बड़े दीन को दुःख सुने, लेत दया उर आनि ।
हरि हाथी सों कब हुती, कहु ‘रहीम’ पहिचानि ॥

अर्थ

बड़े लोग जब किसी गरीब का दुखड़ा सुनते हैं, तो उनके हृदय में दया उमड़ आती है । भगवान की कब जान पहचान थी (ग्राह से ग्रस्त) गजेन्द्र के साथ ?


left|50px|link=बड़ माया को दोष यह -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=बड़े बड़ाई ना करैं -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः