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एक व्यक्तित्व

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        मौलाना अबुलकलाम आज़ाद एक मुस्लिम विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी एवं वरिष्ठ राजनीतिक नेता थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का समर्थन किया और सांप्रदायिकता पर आधारित देश के विभाजन का विरोध किया। स्वतंत्र भारत में वह भारत सरकार के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्हें 'मौलाना आज़ाद' के नाम से जाना जाता है। संगीत नाटक अकादमी (1953), साहित्य अकादमी (1954) और ललित कला अकादमी (1954) की स्थापना में अहम भूमिका थी। वर्ष 1992 में मरणोपरान्त इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। एक इंसान के रूप में मौलाना महान थे, उन्होंने हमेशा सादगी का जीवन पसंद किया। उनमें कठिनाइयों से जूझने के लिए अपार साहस और एक संत जैसी मानवता थी। उनकी मृत्यु के समय उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी और न ही कोई बैंक खाता था। वह अपने वरिष्ठ साथी 'ख़ान अब्दुलगफ़्फ़ार ख़ाँ' और अपने कनिष्ठ 'अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ' के साथ रहे। ... और पढ़ें

पिछले लेख सी. डी. देशमुख खाशाबा जाधव