अंजन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:07, 18 May 2018 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Disamb2.jpg अंजन एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अंजन (बहुविकल्पी)

अंजन नेत्रों की रोगों से रक्षा अथवा उन्हें सुंदर श्यामल करने के लिए एक चूर्ण द्रव्य है।[1]

  • यह नारियों के सोलह सिंगारों में से एक है।
  • प्रोषितपतिका विरहणियों के लिए इसका उपयोग प्राय: वर्जित माना गना है।
  • 'मेघदूत' में कालिदास ने विरहिणी यक्षी और अन्य प्रोषितपतिकाओं को अंजन से शून्य नेत्रवाली कहा है।
  • अंजन को एक विशेष प्रकार की शलाका या सलाई से आँखों में लगाते हैं।
  • इसका उपयोग आज भी प्राचीन काल की ही भाँति भारत की नारियों में प्रचलित है।
  • पंजाब, पाकिस्तान के कबीलाई इलाकों, अफ़गानिस्तान तथा बिलोचिस्तान में मर्द भी अंजन का प्रयोग करते हैं।
  • प्राचीन वेदिका स्तंभों (रेलिंगों) पर बनी नारी मूर्तियाँ अनेक बार शलाका से नेत्र में अंजन लगाते हुए उभारी गई हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |

संबंधित लेख

[[


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः