इप्सस का युद्ध

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 06:44, 29 June 2018 by यशी चौधरी (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

इप्सस का युद्ध यह युद्ध 'राजाओं का युद्ध' कहलाता है जो सिकंदर के मरने के बाद उसके उत्तराधिकारियों में 301 ई. पू. में हुआ था। सिकंदर के कोई संतान न थी इसलिए उसका विशाल साम्राज्य बाबुल में उसके मरते ही उसके सेनापतियों में बँट गया और उनमें जब तक बराबर युद्ध चलता रहा जब तक अंतिगोनस का नाश नहीं हो गया। इसी बीच सीरिया के सेल्यूकस ने भारत के चंद्रगुप्त से हारकर संधि में उससे अपने चार प्रांतों के बदले 500 हाथी पाए थे। उन्हीं हाथियों का इस युद्ध में उसने उपयोग किया। अंतिगोनस के बेटे देमेत्रियस ने जब थेसाली में कसांदर को जा घेरा तब कसांदर ने अपनी प्रतिभा का एक अद्भुत चमत्कार दिखाया। अपने पास बहुत थोड़ी संख्या में सेना रख उसने अपने मित्र राजा लेसीमाख़स को लघु एशिया पर हमला करने को भेजा और सेल्यूकस को बाबुल की ओर से अंतिगोनस पर पीछे से हमला करने के लिए संवाद भेजा। उसकी चाल चल गई। देमेत्रियस को ग्रीस छोड़ पिता की मदद को दौड़ना पड़ा और पिता पुत्र की सेनाएँ लेसीमीख़स और सेल्यूकस की सेनाओं से फ्रीगिया में इप्सस के मैदान में गुथ गईं। अंतिगोनस के पास 70 हजार पैदल, 10 हजार घुड़सवार और 75 हाथी थे। उधर सेल्यूकस के पास 64 हजार पैदल, 10 हजार 5 सौ घुड़सवार और 480 हाथी थे। इस युद्ध में हाथियों ने जीत का पासा पलट दिया वरना देमेत्रियस का हमला शत्रुओं की सँभाल का न था। पहली और आखिरी बार पश्चिमी एशिया की लड़ाई में हाथियों का इस्तेमाल इतना लाभकर सिद्ध हुआ। परिणाम यह हुआ कि साम्राज्य टुकड़ों में बँट गया और पूर्व का भाग सेल्यूकस के हाथ आया। ग्रीक साम्राज्य का केंद्रीकरण न हो सका। उस केंद्रीकरण का स्वप्न देखनेवाला अंतिगोनस इप्सस के युद्ध में ही मारा गया।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 529-30 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः