अफ़ीम युद्ध द्वितीय

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द्वितीय अफीम युद्ध 1856 से 1860 ई. तक चला। अक्तूबर, 1856 में चीन की नौसेना ने ह्वांगफू बन्दरगाह के पास रुके हुए 'या-लो' नामक एक चीनी तस्कर जहाज़ की जांच की और उस पर सवार 2 समुद्री डाकुओं और 10 चीनी नाविकों को पकड़ लिया। ब्रिटेन के कोंस्लर का कहना था कि ये जहाज़ ब्रिटेन का है और चीनी नौसेना ने जहाज़ के झंडे को उतार लिया था। इस घटनाक्रम के बाद ही ब्रिटेन ने दूसरा अफीम युद्ध छेड़ दिया।

  • 'या-लो' नामक जहाज़ का मालिक एक चीनी था, जिसने तस्करी की सुविधा के लिए हांगकांग के ब्रितानी अधिकारियों से एक वर्ष का लाइसेंस भी प्राप्त किया था।
  • चीनी नौसेना ने इस जहाज़ पर सवार 2 समुद्री डाकुओं और 10 नाविकों को गिरफ्तार किया, क्योंकि उसकी लाइसेंस की प्रभावी अवधि बहुत पहले ही समाप्त हो चुकी थी।
  • यह चीन का एक अंदरूनी मामला था, जिसका ब्रिटेन से किसी भी तरह का सम्बन्ध नहीं था, लेकिन क्वांगचो शहर स्थित ब्रितानी कोंस्लर ने कहा कि 'या-लो' जहाज़ ब्रिटेन का है और मनगढ़त रूप से चीनी नौसेना पर आरोप लगाया कि उसने जहाज़ के ऊपर फहरा रहे ब्रिटेन के राष्ट्रीय ध्वज को नीचे खींच लिया था।
  • इस बहाने से लगभग 10 दिनों के बाद ब्रिटिश सेना ने क्वांगचो शहर पर छापा मारकर दूसरा अफीम युद्ध छेड दिया।
  • ब्रिटेन ने अपनी ताकतवर फौजी शक्ति के चलते जल्द ही क्वांगचो शहर पर अधिकार कर लिया।
  • क्वांगचोवासी बहुत बहादुर थे, उन्होंने क़रीब दो महीनों के बाद ही ब्रितानी सेना के ठिकानों को जलाकर नष्ट कर दिया और क़ब्ज़ावरों को शहर से भाग जाने के लिए विवश कर दिया।


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