जोगेश दास

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जोगेश दास (अंग्रेज़ी: Jogesh Das, जन्म- 1 अप्रॅल, 1927; मृत्यु- 9 सितम्बर, 1999) असमिया भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकारों में से एक थे। उनके द्वारा रचित एक कहानी संग्रह 'पृथ्वीवीर असुख' के लिये उन्हें सन 1980 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। उनका 'असम का लोकगीत' जो मूल रूप से अंग्रेज़ी और फिर अन्य भारतीय भाषाओं में था, असमिया लोक कथाओं पर एक सरल और व्यापक पुस्तक है।

जन्म व शिक्षा

साहित्यकार जोगेश दास का जन्म 1 अप्रॅल, सन 1927 में उत्तरी लखीमपुर, असम में हुआ था। उन्होंने 1953 में गुवाहाटी विश्वविद्यालय से असमिया साहित्य में एम.ए. पूरा किया और फिर एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया।

लेखन

उनकी रचनाओं में मुख्य हैं-

उपन्यास

कोलपोतुवर मृत्यु (कोलपोटुवा की मृत्यु, 1953), दावर आरु नाई (कोई और बादल नहीं है, 1955), जोनाकिर जुई (जुगनू की ज्वाला, 1959), निरुपई-निरुपाई (असहाय-असहाय, 1963), एमुथी धुली (एक मुट्ठी धूल, 1965), हजार फूल (हजारों फूल, 1967), नेलेखा जुइर धोवा (एक अनदेखी आग का धुआँ, 1972), ओबिधा (अवैध, 1972), नरेश मालोती अरु (नरेश, मालोती, 1977)

कहानी

पोपिया तोरा (गिरता सितारा, 1956), अंधेरोर हैं (अंधेरे की छाया में, 1958), त्रिवेणी (तीनों का संगम, 1961), मोदारोर बेडोना (सनशाइन ट्री का शोक, 1963), हजार लोकोर भीर (हजारों की भीड़, 1965)

अंग्रेजी किताबें

असम के लोकगीत (1972)।

पुरस्कार


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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