अप्रतीत

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अप्रतीत (विशेषण) [न. त.]

1. अप्रसन्न, अप्रहृष्ट
2. (सा. शा. में) जो स्पष्ट रूप से न समझा जा सके, एक प्रकार का शब्ददोष (उस शब्द को 'अप्रतीत' कहते हैं जो किसी विशिष्ट स्थान पर ही प्रयुक्त होता हो, सामान्य प्रयोग का शब्द न हो)। दे. काव्य. 7[1]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 73 |

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