आक्रन्द:

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आक्रन्दः (पुल्लिंग) [आ+क्रन्द्+घञ्]

1. रोना, चिल्लाना
2. पुकारना, आह्वान करना
3. शब्द, चिल्लाहट
4. मित्र, रक्षक
5. भाई
6. रोने का स्थान
7. वह राजा जो अपने मित्र राजा को दूसरे की सहायता करने से रोके, वह राजा जिसकी राजधानी मिलती हुई किसी दूसरी राजधानी के पास है।[1][2]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. -मनुस्मृति 7/207
  2. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 148 |

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