Difference between revisions of "कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 214"

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-भाव, लावण्ययोजना, प्रमाण, रूपभेद
 
-भाव, लावण्ययोजना, प्रमाण, रूपभेद
 
-लावण्ययोजना, प्रमाण, भाव, रूपभेद
 
-लावण्ययोजना, प्रमाण, भाव, रूपभेद
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
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||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात् रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
  
 
{[[प्रकाश]] में उपस्थित [[रंग|रंगों]] को हम किसके द्वारा देख सकते हैं?
 
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+रूपभेद
 
+रूपभेद
 
-भाव
 
-भाव
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
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||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात् रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
  
 
{ऑफ्सेट कलर प्रिंटिंग के चार [[रंग|कलर]] कौन-कौन से होते हैं?
 
{ऑफ्सेट कलर प्रिंटिंग के चार [[रंग|कलर]] कौन-कौन से होते हैं?

Revision as of 07:47, 7 November 2017

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band kala praangan, kala kosh, sanskriti praangan, sanskriti kosh, dharm praangan, dharm kosh

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1 bharatiy chitrakala ke shadangoan ka sahi kram pahachanie-

roopabhed, praman, bhav, lavanyayojana
praman, bhav, lavanyayojana, roopabhed
bhav, lavanyayojana, praman, roopabhed
lavanyayojana, praman, bhav, roopabhed

2 prakash mean upasthit rangoan ko ham kisake dvara dekh sakate haian?

darpan
prijm
doorabin
eks-re

3 jaste ki chadar ka prayog kis takanik mean hota hai?

linokat
lithopriant
eechiang
inagreviang

4 'shadang' ka pahala aang kya hai?

praman
sadrishy
roopabhed
bhav

5 aauphset kalar priantiang ke char kalar kaun-kaun se hote haian?

lal, hara, nila, kala
syan, maijeanta (rani rang), pila, kala
hara, lal, pila, nila
nila, lal, pila, kala

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