Difference between revisions of "कृष्णा नदी"

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कृष्णा नदी दक्षिण [[भारत]] की एक महत्त्वपूर्ण नदी है, इसका उद्गम [[महाराष्ट्र]] राज्य में महाबलेश्वर के समीप पश्चिमी घाट श्रृंखला से होता है, जो भारत के पश्चिमी समुद्र तट से अधिक दूर नहीं है। यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और फिर सामान्यत: दक्षिण-पूर्वी दिशा में सांगली से होते हुए [[कर्नाटक]] राज्य सीमा की ओर बहती है। यहाँ पहुँचकर यह नदी पूर्व की ओर मुड़ जाती है और अनियमित गति से कर्नाटक और [[आंध्र प्रदेश]] राज्य से होकर बहती है। अब यह दक्षिण-पूर्व व फिर पूर्वोत्तर दिशा में घूम जाती है और इसके बाद पूर्व में विजयवाड़ा में अपने डेल्टा शीर्ष की ओर बहती है। यहाँ से लगभग 1,290 किमी की दूरी तय करके यह [[बंगाल की खाड़ी]] में मिल जाती है। कृष्णा के पास बड़ा और बहुत उपजाऊ डेल्टा है, जो पूर्वोत्तर में [[गोदावरी नदी]] क्षेत्र की ओर आगे बढ़ता जाता है। हालांकि यह नौकाचालान योग्य नहीं है, लेकिन कृष्णा से सिंचाई के लिए पानी तो मिलता ही है; विजयवाड़ा स्थित एक बांध डेल्टा में एक नहर प्रणाली की सहायता से पानी के बहाव को नियंत्रित करता है। मॉनसूनी वर्षा के द्वारा पानी मिलने के कारण नदी के जलस्तर में वर्ष भर काफ़ी उतार-चढ़ाव आता रहता है, जिससे सिंचाई के लिए इसकी उपयोगिता सीमित ही है। कृष्णा नदी घाटी परियोजना (महाराष्ट्र) से यह आशा की जाती है कि इससे राज्य को सिंचाई के लिए अधिक पानी मिल सकेगा। कृष्णा नदी को दो सबसे बड़ी सहायक नदियां, [[भीमा नदी|भीमा]] (उत्तर) और [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] (दक्षिण) हैं। भीमा नदी (महाराष्ट्र) पर उजैनी बांध और तुंगभद्रा नदी पर हौसपेट में बने एक अन्य बांध से सिंचाई के पानी में वृद्धि हुई है। हौसपेट से विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति भी होती है।  
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कृष्णा नदी दक्षिण [[भारत]] की एक महत्त्वपूर्ण नदी है, इसका उद्गम [[महाराष्ट्र]] राज्य में महाबलेश्वर के समीप पश्चिमी घाट श्रृंखला से होता है, जो भारत के पश्चिमी समुद्र तट से अधिक दूर नहीं है। यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और फिर सामान्यत: दक्षिण-पूर्वी दिशा में सांगली से होते हुए [[कर्नाटक]] राज्य सीमा की ओर बहती है। यहाँ पहुँचकर यह नदी पूर्व की ओर मुड़ जाती है और अनियमित गति से कर्नाटक और [[आंध्र प्रदेश]] राज्य से होकर बहती है। अब यह दक्षिण-पूर्व व फिर पूर्वोत्तर दिशा में घूम जाती है और इसके बाद पूर्व में [[विजयवाड़ा]] में अपने डेल्टा शीर्ष की ओर बहती है। यहाँ से लगभग 1,290 किमी की दूरी तय करके यह [[बंगाल की खाड़ी]] में मिल जाती है। कृष्णा के पास बड़ा और बहुत उपजाऊ डेल्टा है, जो पूर्वोत्तर में [[गोदावरी नदी]] क्षेत्र की ओर आगे बढ़ता जाता है।
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यह नौकाचालान योग्य नहीं है, लेकिन कृष्णा से सिंचाई के लिए पानी तो मिलता ही है; विजयवाड़ा स्थित एक बांध डेल्टा में एक नहर प्रणाली की सहायता से पानी के बहाव को नियंत्रित करता है। मॉनसूनी वर्षा के द्वारा पानी मिलने के कारण नदी के जलस्तर में वर्ष भर काफ़ी उतार-चढ़ाव आता रहता है, जिससे सिंचाई के लिए इसकी उपयोगिता सीमित ही है।  
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कृष्णा नदी घाटी परियोजना (महाराष्ट्र) से यह आशा की जाती है कि इससे राज्य को सिंचाई के लिए अधिक पानी मिल सकेगा। कृष्णा नदी को दो सबसे बड़ी सहायक नदियां, [[भीमा नदी|भीमा]] (उत्तर) और [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] (दक्षिण) हैं। भीमा नदी (महाराष्ट्र) पर उजैनी बांध और तुंगभद्रा नदी पर हौसपेट में बने एक अन्य बांध से सिंचाई के पानी में वृद्धि हुई है। हौसपेट से विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति भी होती है।  
 
==श्रीमद्भागवत के अनुसार==
 
==श्रीमद्भागवत के अनुसार==
श्रीमद्भागवत<balloon title="श्रीमद्भागवत, 5,19,18" style=color:blue>*</balloon> में इसका उल्लेख है—'…कावेरी वेणी पयस्विनी शर्करावती तुंगभद्रा कृष्णा वेण्या भीमरथी…' कृष्णा बंगाल की खाड़ी में मसुलीपट्म के निकट गिरती है। कृष्णा और वेणी के संगम पर माहुली नामक प्राचीन तीर्थ है। [[पुराण|पुराणों]] में कृष्णा को [[विष्णु]] के अंश से संभूत माना गया है।  
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[[भागवत पुराणा|श्रीमद्भागवत]]<balloon title="श्रीमद्भागवत, 5,19,18" style=color:blue>*</balloon> में इसका उल्लेख है—'…कावेरी वेणी पयस्विनी शर्करावती तुंगभद्रा कृष्णा वेण्या भीमरथी…' कृष्णा बंगाल की खाड़ी में मसुलीपट्म के निकट गिरती है। कृष्णा और वेणी के संगम पर माहुली नामक प्राचीन तीर्थ है। [[पुराण|पुराणों]] में कृष्णा को [[विष्णु]] के अंश से संभूत माना गया है।  
 
==महाभारत ने अनुसार==
 
==महाभारत ने अनुसार==
[[महाभारत]], [[सभा पर्व महाभारत|सभापर्व]]<balloon title="सभापर्व 9,20" style=color:blue>*</balloon> में कृष्णा को कृष्णवेणा कहा गया है और गोदावरी और [[कावेरी नदी|कावेरी]] के बीच में इसका उल्लेख है जिससे इसकी वास्तविक स्थिति का बोध होता है- 'गोदावरी कृष्णवेणा कावेरी च सरिद्वारा'।
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[[महाभारत]], [[सभा पर्व, महाभारत|सभापर्व]]<balloon title="सभापर्व 9,20" style=color:blue>*</balloon> में कृष्णा को कृष्णवेणा कहा गया है और गोदावरी और [[कावेरी नदी|कावेरी]] के बीच में इसका उल्लेख है जिससे इसकी वास्तविक स्थिति का बोध होता है- 'गोदावरी कृष्णवेणा कावेरी च सरिद्वारा'।
  
  

Revision as of 10:49, 29 May 2010

krishnaa nadi dakshin bharat ki ek mahattvapoorn nadi hai, isaka udgam maharashtr rajy mean mahabaleshvar ke samip pashchimi ghat shrriankhala se hota hai, jo bharat ke pashchimi samudr tat se adhik door nahian hai. yah poorv se pashchim ki or bahati hai aur phir samanyat: dakshin-poorvi disha mean saangali se hote hue karnatak rajy sima ki or bahati hai. yahaan pahuanchakar yah nadi poorv ki or mu d jati hai aur aniyamit gati se karnatak aur aandhr pradesh rajy se hokar bahati hai. ab yah dakshin-poorv v phir poorvottar disha mean ghoom jati hai aur isake bad poorv mean vijayava da mean apane delta shirsh ki or bahati hai. yahaan se lagabhag 1,290 kimi ki doori tay karake yah bangal ki kha di mean mil jati hai. krishnaa ke pas b da aur bahut upajaoo delta hai, jo poorvottar mean godavari nadi kshetr ki or age badhata jata hai.

yah naukachalan yogy nahian hai, lekin krishnaa se sianchaee ke lie pani to milata hi hai; vijayava da sthit ek baandh delta mean ek nahar pranali ki sahayata se pani ke bahav ko niyantrit karata hai. m aaunasooni varsha ke dvara pani milane ke karan nadi ke jalastar mean varsh bhar kafi utar-chadhav ata rahata hai, jisase sianchaee ke lie isaki upayogita simit hi hai.

krishnaa nadi ghati pariyojana (maharashtr) se yah asha ki jati hai ki isase rajy ko sianchaee ke lie adhik pani mil sakega. krishnaa nadi ko do sabase b di sahayak nadiyaan, bhima (uttar) aur tuangabhadra (dakshin) haian. bhima nadi (maharashtr) par ujaini baandh aur tuangabhadra nadi par hausapet mean bane ek any baandh se sianchaee ke pani mean vriddhi huee hai. hausapet se vidyut oorja ki apoorti bhi hoti hai.

shrimadbhagavat ke anusar

shrimadbhagavat<balloon title="shrimadbhagavat, 5,19,18" style=color:blue>*</balloon> mean isaka ullekh hai—'…kaveri veni payasvini sharkaravati tuangabhadra krishnaa venya bhimarathi…' krishnaa bangal ki kha di mean masulipatm ke nikat girati hai. krishnaa aur veni ke sangam par mahuli namak prachin tirth hai. puranoan mean krishnaa ko vishnu ke aansh se sanbhoot mana gaya hai.

mahabharat ne anusar

mahabharat, sabhaparv<balloon title="sabhaparv 9,20" style=color:blue>*</balloon> mean krishnaa ko krishnavena kaha gaya hai aur godavari aur kaveri ke bich mean isaka ullekh hai jisase isaki vastavik sthiti ka bodh hota hai- 'godavari krishnavena kaveri ch saridvara'.