Difference between revisions of "विक्रमादित्य द्वितीय"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
*'''विक्रमादित्य द्वितीय''' (733 से 745 ई.), [[विजयादित्य]] का पुत्र और राजसिंहासन का उत्तराधिकारी था।
+
'''विक्रमादित्य द्वितीय''' (733 से 745 ई.), [[विजयादित्य]] का पुत्र और राजसिंहासन का उत्तराधिकारी था। विक्रमादित्य द्वितीय ने भी अपने समय में [[चालुक्य साम्राज्य]] की शक्ति को अक्षुण्ण बनाये रखा।
*विक्रमादित्य द्वितीय ने भी अपने समय में [[चालुक्य साम्राज्य]] की शक्ति को अक्षुण्ण बनाये रखा।
+
 
 
*'नरवण', 'केन्दूर', 'वक्रकलेरि' एवं 'विक्रमादित्य' की रानी 'लोक महादेवी' के '[[पट्टदकल]]' अभिलेख से यह प्रमाणित होता है कि, विक्रमादित्य द्वितीय ने [[पल्लव वंश|पल्लव]] नरेश [[नंदि वर्मन द्वितीय]] को पराजित किया।
 
*'नरवण', 'केन्दूर', 'वक्रकलेरि' एवं 'विक्रमादित्य' की रानी 'लोक महादेवी' के '[[पट्टदकल]]' अभिलेख से यह प्रमाणित होता है कि, विक्रमादित्य द्वितीय ने [[पल्लव वंश|पल्लव]] नरेश [[नंदि वर्मन द्वितीय]] को पराजित किया।
 
*उसने [[कांची]] को भी विजित किया था और कांची को बिना क्षति पहुंचाये, वहां के 'राजसिंहेश्वर मंदिर' को अधिक आकर्षक बनाने के लिए रत्नादि भेंट किया।
 
*उसने [[कांची]] को भी विजित किया था और कांची को बिना क्षति पहुंचाये, वहां के 'राजसिंहेश्वर मंदिर' को अधिक आकर्षक बनाने के लिए रत्नादि भेंट किया।
Line 7: Line 7:
 
*विक्रमादित्य द्वितीय के शासनकाल में ही दक्कन पर [[अरब|अरबों]] ने आक्रमण किया था।
 
*विक्रमादित्य द्वितीय के शासनकाल में ही दक्कन पर [[अरब|अरबों]] ने आक्रमण किया था।
 
*712 ई. में अरबों ने [[सिंध प्रांत|सिन्ध]] को जीतकर अपने अधीन कर लिया था, और स्वाभाविक रूप से उनकी यह इच्छा थी, कि [[भारत]] में और आगे अपनी शक्ति का विस्तार करें।
 
*712 ई. में अरबों ने [[सिंध प्रांत|सिन्ध]] को जीतकर अपने अधीन कर लिया था, और स्वाभाविक रूप से उनकी यह इच्छा थी, कि [[भारत]] में और आगे अपनी शक्ति का विस्तार करें।
*अरबों ने लाट देश (दक्षिणी गुजरात) पर आक्रमण किया, जो इस समय चालुक्य साम्राज्य के अंतर्गत था।   
+
*अरबों ने [[लाट|लाट देश]] (दक्षिणी गुजरात) पर आक्रमण किया, जो इस समय चालुक्य साम्राज्य के अंतर्गत था।   
 
*विक्रमादित्य द्वितीय के शौर्य के कारण अरबों को अपने प्रयत्न में सफलता नहीं मिली और यह प्रतापी चालुक्य राजा [[अरब]] आक्रमण से अपने साम्राज्य की रक्षा करने में समर्थ रहा।
 
*विक्रमादित्य द्वितीय के शौर्य के कारण अरबों को अपने प्रयत्न में सफलता नहीं मिली और यह प्रतापी चालुक्य राजा [[अरब]] आक्रमण से अपने साम्राज्य की रक्षा करने में समर्थ रहा।
 
*सम्भवतः विक्रमादित्य ने [[पाण्ड्य साम्राज्य|पाण्ड्यों]], [[चोल वंश|चोलों]], केरलों, एवं कलभ्रों को भी परास्त किया था।
 
*सम्भवतः विक्रमादित्य ने [[पाण्ड्य साम्राज्य|पाण्ड्यों]], [[चोल वंश|चोलों]], केरलों, एवं कलभ्रों को भी परास्त किया था।
*प्रथम पत्नी 'लोक महादेवी' ने 'पट्टलक' में विशाल शिव मंदिर (विरुपाक्षमहादेव मंदिर) का निर्माण करवाया था, जो अब 'विरुपाक्ष महादेव मंदिर' के नाम से प्रसिद्ध है।
+
*प्रथम पत्नी 'लोक महादेवी' ने 'पट्टलक' में विशाल शिव मंदिर (विरुपाक्षमहादेव मंदिर) का निर्माण करवाया था, जो अब '[[विरुपाक्ष मंदिर|विरुपाक्ष महादेव मंदिर]]' के नाम से प्रसिद्ध है।
 
*इस विशाल मंदिर के प्रभान शिल्पी 'आचार्य गुण्ड' थे, जिन्हें 'त्रिभुवनाचारि', 'आनिवारितचारि' तथा 'तेन्कणदिशासूत्रधारी' आदि उपाधियों से विभूषित किया गया था।
 
*इस विशाल मंदिर के प्रभान शिल्पी 'आचार्य गुण्ड' थे, जिन्हें 'त्रिभुवनाचारि', 'आनिवारितचारि' तथा 'तेन्कणदिशासूत्रधारी' आदि उपाधियों से विभूषित किया गया था।
*विक्रमादित्य द्वितीय के रचनात्मक व्यक्तित्व का विवरण 'लक्ष्मेश्वर' एवं 'ऐहोल' अभिलेखों से प्राप्त होता है।
+
*विक्रमादित्य द्वितीय के रचनात्मक व्यक्तित्व का विवरण 'लक्ष्मेश्वर' एवं 'ऐहोल' [[अभिलेख|अभिलेखों]] से प्राप्त होता है।
 
*विक्रमादित्य द्वितीय ने 'वल्लभदुर्येज', 'कांचियनकोंडु', 'महाराधिराज', 'श्रीपृथ्वीवल्लभ', 'परमेश्वर' आदि उपाधियां धारण की थीं।
 
*विक्रमादित्य द्वितीय ने 'वल्लभदुर्येज', 'कांचियनकोंडु', 'महाराधिराज', 'श्रीपृथ्वीवल्लभ', 'परमेश्वर' आदि उपाधियां धारण की थीं।
 +
*विक्रमादित्य ने लगभग 745 ई. तक शासन किया।
  
{{प्रचार}}
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति
 
|आधार=
 
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
 
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{चालुक्य साम्राज्य}}
 
{{चालुक्य साम्राज्य}}
 
+
[[Category:चालुक्य साम्राज्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास_कोश]][[Category:दक्षिण भारत के साम्राज्य]]
[[Category:इतिहास_कोश]]
 
[[Category:दक्षिण भारत के साम्राज्य]]
 
[[Category:चालुक्य साम्राज्य]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

Latest revision as of 10:26, 12 October 2014

vikramadity dvitiy (733 se 745 ee.), vijayadity ka putr aur rajasianhasan ka uttaradhikari tha. vikramadity dvitiy ne bhi apane samay mean chaluky samrajy ki shakti ko akshunn banaye rakha.

  • 'naravan', 'kendoor', 'vakrakaleri' evan 'vikramadity' ki rani 'lok mahadevi' ke 'pattadakal' abhilekh se yah pramanit hota hai ki, vikramadity dvitiy ne pallav naresh nandi varman dvitiy ko parajit kiya.
  • usane kaanchi ko bhi vijit kiya tha aur kaanchi ko bina kshati pahuanchaye, vahaan ke 'rajasianheshvar mandir' ko adhik akarshak banane ke lie ratnadi bheant kiya.
  • isane is mandir ki divar par ek abhilekh utkirn karavaya aur sath hi pallavoan ki 'vatapikod' ki tarah 'kaanchinakod' ki upadhi dharan ki thi.
  • sambhavatah pallavoan ke rajy kaanchi ko vikramadity dvitiy ne tin bar vijit kiya tha.
  • vikramadity dvitiy ke shasanakal mean hi dakkan par araboan ne akraman kiya tha.
  • 712 ee. mean araboan ne sindh ko jitakar apane adhin kar liya tha, aur svabhavik roop se unaki yah ichchha thi, ki bharat mean aur age apani shakti ka vistar karean.
  • araboan ne lat desh (dakshini gujarat) par akraman kiya, jo is samay chaluky samrajy ke aantargat tha.
  • vikramadity dvitiy ke shaury ke karan araboan ko apane prayatn mean saphalata nahian mili aur yah pratapi chaluky raja arab akraman se apane samrajy ki raksha karane mean samarth raha.
  • sambhavatah vikramadity ne pandyoan, choloan, keraloan, evan kalabhroan ko bhi parast kiya tha.
  • pratham patni 'lok mahadevi' ne 'pattalak' mean vishal shiv mandir (virupakshamahadev mandir) ka nirman karavaya tha, jo ab 'virupaksh mahadev mandir' ke nam se prasiddh hai.
  • is vishal mandir ke prabhan shilpi 'achary gund' the, jinhean 'tribhuvanachari', 'anivaritachari' tatha 'tenkanadishasootradhari' adi upadhiyoan se vibhooshit kiya gaya tha.
  • vikramadity dvitiy ke rachanatmak vyaktitv ka vivaran 'lakshmeshvar' evan 'aihol' abhilekhoan se prapt hota hai.
  • vikramadity dvitiy ne 'vallabhaduryej', 'kaanchiyanakoandu', 'maharadhiraj', 'shriprithvivallabh', 'parameshvar' adi upadhiyaan dharan ki thian.
  • vikramadity ne lagabhag 745 ee. tak shasan kiya.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

sanbandhit lekh