Difference between revisions of "हिन्दी सामान्य ज्ञान 16"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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{'पंच परमेश्वर' के लेखक हैं-
 
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-[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]
 
+[[प्रेमचन्द]]
 
-[[मैथिलीशरण गुप्त]]
 
-[[सुमित्रानंदन पंत]]
 
|| [[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
 
 
{'तोड़ती पत्थर' (कविता) के कवि हैं-
 
|type="()"}
 
-[[सुभद्रा कुमारी चौहान]]
 
-[[महादेवी वर्मा]]
 
+[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]
 
-[[माखन लाल चतुर्वेदी]]
 
|| [[चित्र:Suryakant Tripathi Nirala.jpg|सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|100px|right]] [[हिन्दी]] के छायावादी कवियों में 'सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला' कई दृष्टियों से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। वे एक कवि, [[उपन्यासकार]], निबन्धकार और कहानीकार थे। उन्होंने कई रेखाचित्र भी बनाये। उनका व्यक्तित्व अतिशय विद्रोही और क्रान्तिकारी तत्त्वों से निर्मित हुआ है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]]
 
 
{'हार की जीत' (कहानी) के कहानीकार हैं-
 
|type="()"}
 
+[[सुदर्शन]]
 
-यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'
 
-[[कमलेश्वर]]
 
-[[रांगेय राघव]]
 
 
{'रानी केतकी की कहानी' के रचयिता हैं-
 
|type="()"}
 
-वृन्दावन लाल वर्मा
 
-किशोरी लाल गोस्वामी
 
+[[इंशा अल्ला ख़ाँ]]
 
-माधव राव सप्रे
 
 
{'शिव शंभु के चिट्ठे' से संबंधित रचनाकार हैं-
 
|type="()"}
 
-बाबू तोता राम
 
-केशव राम भट्ट
 
+बाल मुकुन्द गुप्त
 
-अम्बिका दत्त व्यास
 
  
 
{'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं-
 
{'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं-
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
+[[केशवदास]]
 
+[[केशवदास]]
-मलूक दास
+
-[[मलूकदास]]
 
-[[दादू दयाल]]
 
-[[दादू दयाल]]
 
-[[बिहारी लाल]]
 
-[[बिहारी लाल]]
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-शांति प्रिय द्विवेदी
 
-शांति प्रिय द्विवेदी
 
+[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]
 
+[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]
-विद्या निवास मिश्र
+
-[[विद्यानिवास मिश्र]]
 
-कुबेरनाथ राय
 
-कुबेरनाथ राय
|| [[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी|100px|right]] डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में से हैं। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]
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|| [[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी|100px|right]] डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में से हैं। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]
  
 
{मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?
 
{मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?
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+[[कबीरदास]]
 
+[[कबीरदास]]
 
-[[सुंदरदास|सुन्दर दास]]
 
-[[सुंदरदास|सुन्दर दास]]
||[[चित्र:Sant-Kabirdas.jpg|70px|right]] महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ [[हिन्दू धर्म]] के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]]
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||[[चित्र:Sant-Kabirdas.jpg|70px|right]] महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ़ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ़ [[हिन्दू धर्म]] के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]]
  
 
{'चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
 
{'चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
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-[[बिहारीलाल]]
 
-[[बिहारीलाल]]
 
-[[कबीर]]
 
-[[कबीर]]
|| [[चित्र:Tulsidas.jpg|100px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
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|| [[चित्र:Tulsidas.jpg|100px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान् कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान [[बाँदा ज़िला]]) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
 
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[[Category:हिन्दी सामान्य ज्ञान]]
 
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[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
 
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Latest revision as of 13:58, 29 October 2017

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band bhasha praangan, hindi bhasha

panne par jaean

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1 'rasik priya' ke rachayita haian-

keshavadas
malookadas
dadoo dayal
bihari lal

2 'kutaj' ke rachayita haian-

shaanti priy dvivedi
hazari prasad dvivedi
vidyanivas mishr
kuberanath ray

3 masi kagad chhuyo nahian kalam gahi nahian hath॥ prastut pankti ke rachayita haian?

dadoo dayal
raidas
kabiradas
sundar das

4 'chandan vish vyapat nahian, lipate rahat bhujang'. is pankti ke rachayita haian-

sooradas
biharilal
kabir
rahim

5 'jab-jab hoy dharm ki hani, badhahian asur adham abhimani'. is pankti ke rachayita haian-

rasakhan
tulasidas
biharilal
kabir

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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan