Difference between revisions of "हिन्दी सामान्य ज्ञान 31"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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{निम्नलिखित में से कौन 'राग दरबारी' उपन्यास के लेखक हैं?
 
|type="()"}
 
-[[यशपाल]]
 
-[[भगवतीचरण वर्मा]]
 
+[[श्रीलाल शुक्ल]]
 
-[[अमृतलाल नागर]]
 
||[[चित्र:Shrilal Shukla55.jpg|right|100px|श्रीलाल शुक्ल]]श्रीलाल शुक्ल प्रसिद्ध साहित्यकार थे, जिन्हें समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये जाना जाता है। उनके दस उपन्यास, चार कहानी संग्रह, नौ व्यंग्य संग्रह, दो विनिबंध, तथा एक आलोचना पुस्तक आदि उनकी कीर्ति को बनाये रखने के लिए पर्याप्त हैं। [[श्रीलाल शुक्ल]] का पहला [[उपन्यास]] 'सूनी घाटी का सूरज', [[1957]] में प्रकाशित हुआ था। उनका सबसे लोकप्रिय उपन्यास 'राग दरबारी', [[1968]] में छपा। 'राग दरबारी' का पन्द्रह भारतीय भाषाओं के अलावा [[अंग्रेज़ी]] में भी अनुवाद प्रकाशित हुआ। 'राग विराग' श्रीलाल शुक्ल का आखिरी उपन्यास था। उन्होंने [[हिन्दी साहित्य]] को कुल मिलाकर 25 रचनाएँ दी हैं। इनमें 'मकान', 'पहला पड़ाव', 'अज्ञातवास' और 'विश्रामपुर का संत' प्रमुख हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीलाल शुक्ल]]
 
 
{[[देवनागरी लिपि]] को संवैधानिक मान्यता किसने प्रदान की है?
 
|type="()"}
 
+[[संविधान]] ने
 
-[[राष्ट्रपति]] ने
 
-गृहमंत्री ने
 
-मुख्य न्यायधीश ने
 
||[[चित्र:Emblem-of-India.png|right|80px|भारत का प्रतीक चिह्न]][[भारत]] अथवा 'इण्डिया' राज्यों का एक संघ है। य‍ह संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्‍वतंत्र प्रभुसत्ता सम्‍पन्‍न समाजवादी लोकतंत्रात्‍मक गणराज्‍य है। यह गणराज्‍य [[भारत का संविधान|भारत के संविधान]] के अनुसार शासित है, जिसे संविधान सभा द्वारा [[26 नवम्बर]], [[1949]] को ग्रहण किया गया तथा जो [[26 जनवरी]], [[1950]] को प्रवृत्त हुआ। संविधान में सरकार के संसदीय स्‍वरूप की व्‍यवस्‍था की गई है, जिसकी संरचना कतिपय एकात्‍मक विशिष्‍टताओं सहित संघीय है। केन्‍द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख [[राष्‍ट्रपति]] है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्‍द्रीय [[संसद]] की परिषद में राष्‍ट्रपति तथा दो सदन है, जिन्‍हें राज्‍यों की परिषद ([[राज्य सभा]]) तथा लोगों का सदन ([[लोक सभा]]) के नाम से जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारत का संविधान]]
 
 
{निम्न में से उपबोली को क्या कहा जाता है?
 
|type="()"}
 
-[[राजभाषा]]
 
-सम्पर्क बोली
 
+स्थानीय बोली
 
-राष्ट्रभाषा
 
 
{मैक्समूलर ने 'इंडो जर्मनिक' नाम किस भाषा परिवार को दिया?
 
|type="()"}
 
+[[भारोपीय भाषा परिवार|भारोपीय भाषा]]
 
-वैदिक भाषा
 
-[[अपभ्रंश भाषा]]
 
-[[हिन्दी भाषा]]
 
||'भारोपीय भाषा परिवार' विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में सर्वप्रमुख भाषा परिवार है। इसके बोलने वालों की संख्या विश्व में सबसे ज़्यादा है। इस [[भारोपीय भाषा परिवार]] की प्रमुख भाषाएँ [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[पालि भाषा|पालि]], [[प्राकृत भाषा|प्राकृत]], [[अपभ्रंश भाषा|अपभ्रंश]], [[हिन्दी भाषा|हिन्दी]], [[बंगाली भाषा|बंगाली]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], ग्रीक, लेटिन, [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]], रूसी, जर्मन, पुर्तग़ाली और इतालवी इत्यादि हैं। इस भाषायी परिवार की भाषाएँ विश्व के बड़े भाग में बोली जाती हैं। अन्य परिवारों की तुलना में इसमें भाषाओं और बोलियों की संख्या बहुत अधिक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारोपीय भाषा परिवार|भारोपीय भाषा]]
 
 
{निम्न में से सानुनासिक वर्ण कौन से हैं?
 
|type="()"}
 
-क् ज् ग् च्
 
+ङ ञ ण न् म्
 
-ख् द् ठ् म्
 
-ण् ज् थ् द्
 
  
 
{"[[काशी नागरी प्रचारिणी सभा]]" की स्थापना कब हुई?
 
{"[[काशी नागरी प्रचारिणी सभा]]" की स्थापना कब हुई?
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-[[1860]]
 
-[[1860]]
 
-[[1865]]
 
-[[1865]]
||[[चित्र:Dr. Shyam Sunder Das.jpg|right|90px|श्यामसुंदर दास]]'काशी नागरी प्रचारिणी सभा' [[हिन्दी भाषा]] और [[साहित्य]] तथा [[देवनागरी लिपि]] की उन्नति तथा प्रचार और प्रसार करने वाली देश की अग्रणी संस्था है। इसकी स्थापना 'क्वीन्स कॉलेज', [[वाराणसी]] के नौवीं कक्षा के तीन छात्रों- [[श्यामसुंदर दास]], पं. रामनारायण मिश्र और शिवकुमार सिंह ने कॉलेज के छात्रावास के बरामदे में बैठकर की थी। बाद में [[16 जुलाई]], [[1893]] को इसकी स्थापना की तिथि इन्हीं महानुभावों ने निर्धारित की और आधुनिक हिन्दी के जनक [[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]] के फुफेरे भाई बाबू राधाकृष्ण दास इसके पहले अध्यक्ष हुए। [[काशी]] के 'सप्तसागर मुहल्ले' के घुड़साल में इसकी बैठक होती थी। बाद में इस संस्था का एक स्वतंत्र भवन बना।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[काशी नागरी प्रचारिणी सभा]]
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||[[चित्र:Dr. Shyam Sunder Das.jpg|right|90px|श्यामसुंदर दास]] 'काशी नागरी प्रचारिणी सभा' [[हिन्दी]] [[भाषा]] और [[साहित्य]] तथा [[देवनागरी लिपि]] की उन्नति तथा प्रचार और प्रसार करने वाली देश की अग्रणी संस्था है। इसकी स्थापना 'क्वीन्स कॉलेज', [[वाराणसी]] के नौवीं कक्षा के तीन छात्रों- [[श्यामसुंदर दास]], पं. रामनारायण मिश्र और शिवकुमार सिंह ने कॉलेज के छात्रावास के बरामदे में बैठकर की थी। बाद में [[16 जुलाई]], [[1893]] को इसकी स्थापना की तिथि इन्हीं महानुभावों ने निर्धारित की और आधुनिक हिन्दी के जनक [[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]] के फुफेरे भाई बाबू राधाकृष्ण दास इसके पहले अध्यक्ष हुए। [[काशी]] के 'सप्तसागर मुहल्ले' के घुड़साल में इसकी बैठक होती थी। बाद में इस संस्था का एक स्वतंत्र भवन बना।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[काशी नागरी प्रचारिणी सभा]]
  
 
{"दक्षिण भारत हिन्दी समिति" की स्थापना कब हुई?
 
{"दक्षिण भारत हिन्दी समिति" की स्थापना कब हुई?
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{[[अपभ्रंश भाषा|अपभ्रंश]] का सर्वप्रथम प्रयोग कहाँ पर हुआ?
 
{[[अपभ्रंश भाषा|अपभ्रंश]] का सर्वप्रथम प्रयोग कहाँ पर हुआ?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-जसहर चरिउ
+
-[[जसहर चरिउ]]
 
-[[गीता]]
 
-[[गीता]]
 
+[[महाभाष्य]]
 
+[[महाभाष्य]]
 
-नागकुमार चरिउ
 
-नागकुमार चरिउ
||'महाभाष्य' [[पतंजलि (महाभाष्यकार)|महर्षि पतंजलि]] द्वारा रचित है। पतंजति ने [[पाणिनि]] के '[[अष्टाध्यायी]]' के कुछ चुने हुए सूत्रों पर भाष्य लिखा था, जिसे 'व्याकरण महाभाष्य' का नाम दिया गया। '[[महाभाष्य]]' वैसे तो [[व्याकरण]] का [[ग्रंथ]] माना जाता है, किन्तु इसमें कहीं-कहीं राजाओं-महाराजाओं एवं जनतंत्रों के घटनाचक्र का विवरण भी मिलता हैं। पतंजलि द्वारा कृत 'महाभाष्य' 84 अध्यायों में विभक्त है। इसका प्रथम अध्याय "पस्पशा" के नाम से जाना जाता है, जिसमें [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] स्वरूप का निरूपण किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभाष्य]]
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||'महाभाष्य' [[पतंजलि (महाभाष्यकार)|महर्षि पतंजलि]] द्वारा रचित है। पतंजलि ने [[पाणिनि]] के '[[अष्टाध्यायी]]' के कुछ चुने हुए सूत्रों पर भाष्य लिखा था, जिसे 'व्याकरण महाभाष्य' का नाम दिया गया। '[[महाभाष्य]]' वैसे तो [[व्याकरण]] का [[ग्रंथ]] माना जाता है, किन्तु इसमें कहीं-कहीं राजाओं-महाराजाओं एवं जनतंत्रों के घटनाचक्र का विवरण भी मिलता हैं। पतंजलि द्वारा कृत 'महाभाष्य' 84 अध्यायों में विभक्त है। इसका प्रथम अध्याय "पस्पशा" के नाम से जाना जाता है, जिसमें [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] स्वरूप का निरूपण किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभाष्य]]
  
 
{[[भाषा]] का निर्माण किससे होता है?
 
{[[भाषा]] का निर्माण किससे होता है?
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-[[फणीश्वरनाथ रेणु]]
 
-[[फणीश्वरनाथ रेणु]]
 
-[[चतुरसेन शास्त्री]]
 
-[[चतुरसेन शास्त्री]]
||[[चित्र:Dinkar.jpg|right|90px|रामधारी सिंह दिनकर]]रामधारी सिंह दिनकर [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध कवियों में से एक हैं। दिनकर की गद्य कृतियों में मुख्य हैं- उनका विराट ग्रन्थ 'संस्कृति के चार अध्याय' ([[1956]] ई.), जिसमें उन्होंने प्रधानतया शोध और अनुशीलन के आधार पर मानव सभ्यता के इतिहास को चार मंजिलों में बाँटकर अध्ययन किया है। [[भाषा]] की भूलों के बावज़ूद शैली की प्रांजलता [[रामधारी सिंह दिनकर]] के गद्य को आकर्षित बना देती है। दिनकर की प्रसिद्ध आलोचनात्मक कृतियाँ हैं- 'मिट्टी की ओर' ([[1946]] ई.), 'काव्य की भूमिका' ([[1958]] ई.), 'पंत, प्रसाद और मैथिलीशरण' ([[1958]] ई.), हमारी सांस्कृतिक कहानी ([[1955]]) और 'शुद्ध कविता की खोज़' ([[1966]] ई.)।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामधारी सिंह दिनकर]]
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||[[चित्र:Dinkar.jpg|right|90px|रामधारी सिंह दिनकर]] रामधारी सिंह दिनकर [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध कवियों में से एक हैं। दिनकर की गद्य कृतियों में मुख्य हैं- उनका विराट ग्रन्थ '[[संस्कृति के चार अध्याय]]' ([[1956]] ई.), जिसमें उन्होंने प्रधानतया शोध और अनुशीलन के आधार पर मानव सभ्यता के इतिहास को चार मंजिलों में बाँटकर अध्ययन किया है। [[भाषा]] की भूलों के बावज़ूद शैली की प्रांजलता [[रामधारी सिंह दिनकर]] के गद्य को आकर्षित बना देती है। दिनकर की प्रसिद्ध आलोचनात्मक कृतियाँ हैं- 'मिट्टी की ओर' ([[1946]] ई.), 'काव्य की भूमिका' ([[1958]] ई.), 'पंत, प्रसाद और मैथिलीशरण' ([[1958]] ई.), हमारी सांस्कृतिक कहानी ([[1955]]) और 'शुद्ध कविता की खोज़' ([[1966]] ई.)।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामधारी सिंह दिनकर]]
 
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{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
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[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
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[[Category:हिन्दी भाषा]]
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
 
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{{Review-G}}

Latest revision as of 10:41, 8 November 2016

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


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  2. REDIRECTsaancha:nila band bhasha praangan, hindi bhasha

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1 "kashi nagari pracharini sabha" ki sthapana kab huee?

1893
1850
1860
1865

2 "dakshin bharat hindi samiti" ki sthapana kab huee?

1927 ee.
1918 ee.
1945 ee.
1946 ee.

3 apabhransh ka sarvapratham prayog kahaan par hua?

jasahar chariu
gita
mahabhashy
nagakumar chariu

4 bhasha ka nirman kisase hota hai?

vyakt dhvaniyoan se
maun se
mook dhvaniyoan se
sanketoan se

5 'shuddh kavita ki khoj' namak alochanatmak kriti kis sahityakar ki hai?

amritalal chakravarti
ramadhari sianh dinakar
phanishvaranath renu
chaturasen shastri

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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan