अनृज्-च (विशेषण) [नास्ति ॠक यस्य, न. ब.]
- 1. बिना ऋचा का
- 2. जो ऋग्वेद का ज्ञाता न हो, या ऋग्वेद का अध्येता न हो, यज्ञोपवीत न होने के कारण जिसे वेदाध्ययन का अधिकार न हो-अनृचो माणवकः-मुग्ध.।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑
संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 51 |
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