छिमा बड़ेन को चाहिए -रहीम

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छिमा बड़ेन को चाहिए , छोटन को उतपात ।
का ‘रहीम’ हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात ॥

अर्थ

बड़े आदमियों को क्षमा शोभा देती है। भृगु मुनि ने विष्णु को लात मार दी, तो उससे उनका आदर कहाँ कम हुआ?


left|50px|link=गरज आपनी आप सों -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=जब लगि वित्त न आपुने -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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