रहिमन दानि दरिद्रतर -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

‘रहिमन’ दानि दरिद्रतर , तऊ जाँचिबे जोग ।
ज्यों सरितन सूखा परे, कुँआ खदावत लोग ॥

अर्थ

दानी अत्यन्त दरिद्र भी हो जाय, तो भी उससे याचना की जा सकती है। नदियाँ जब सूख जाती हैं तो उनके तल में ही लोग कुएँ खुदवाते हैं।


left|50px|link=रहिमन तीन प्रकार ते -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=रहिमन देखि बड़ेन को -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः