रहिमन नीचन संग बसि -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

‘रहिमन’ नीचन संग बसि, लगत कलंक न काहि।
दूध कलारिन हाथ लखि, सब समुझहिं मद ताहि॥

अर्थ

नीच लोगों का साथ करने से भला कौन कलंकित नहीं होता है। कलारिन (शराब बेचने वाली) के हाथ में यदि दूध भी हो, तब भी लोग उसे शराब ही समझते हैं।


left|50px|link=खीरा को सिर काटिकै -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=कौन बड़ाई जलधि मिलि -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः