शारदेव: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('*वैदर्भ नामक वीर की कन्या का नाम शारदा था। *बारह वर्ष ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 8: Line 8:




{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=
|आधार=
Line 15: Line 16:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:नया पन्ना]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 10:49, 21 March 2011

  • वैदर्भ नामक वीर की कन्या का नाम शारदा था।
  • बारह वर्ष की आयु में उसका विवाह एक बूढ़े ब्राह्मण से हुआ, जो उसी दिन सर्प दंश के कारण मर गया।
  • शारदा अपने माता-पिता के यहाँ रहती थी।
  • एक बार वैध्रुव नामक अंधे मुनि ने उससे प्रसन्न होकर उसे पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया। यह ज्ञात होने पर कि वह विधवा है, मुनि ने अपने वरदान को सत्य करने के निमित्त उमा महेश्वर व्रत किया।
  • गिरिजा ने प्रसन्न होकर मुनि के नेत्र ठीक कर दिये तथा बताया कि शारदा पूर्वजन्म में अपनी सौत को बहुत तंग करती थी, इसी से वह 51 जन्मों में विधवा रहेगी, किन्तु मुनि के दिये वरदान को सत्य करने के निमित्त उसकी भेंट नित्य स्वप्न में पूर्व पति होगी, उसी से उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।
  • कालान्तर में उसका स्वप्नदर्शी पति (जिसने पांडवदेश में पुन: जन्म लिया था) उसे मिला।
  • दोनों एक-दूसरे को स्वप्न में देखते थे, अत: उन्होंने परस्पर पहचान लिया। दोनों साथ ही रहने लगे। उसके साथ ही शारदा सती हो गई। उसके पुत्र का नाम शारदेव हुआ।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ