तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली अनुवाक-1: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{तैत्तिरीयोपनिषद}}")
 
Line 16: Line 16:
[[Category:तैत्तिरीयोपनिषद]]
[[Category:तैत्तिरीयोपनिषद]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:उपनिषद]]  
[[Category:उपनिषद]][[Category:संस्कृत साहित्य]]  


__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 13:44, 13 October 2011

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य
  • इस अनुवाक में भृगु वारुणि अपने पिता वरुण के पास जाकर 'ब्रह्म' के बारे में पूछते हैं।
  • वरुण उन्हें बताते हैं कि अन्न, प्राण, चक्षु, श्रोत्र, मन और वाणी- ये सभी ब्रह्म की प्राप्ति के साधन हैं। ये सारे प्राणी, जिससे जन्म लेते हैं, उसी में लय हो जाते हैं।
  • वही 'ब्रह्म' है। उसे साधना द्वारा जानने का प्रयास करो। इस प्रकार जानकर भृगु तप करने चले गये।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9

तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10

तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10 | अनुवाक-11 | अनुवाक-12