तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली अनुवाक-5: Difference between revisions
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- तैत्तिरीयोपनिषद के भृगुवल्ली का यह पांचवाँ अनुवाक है।
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
- भृगु ऋषि फिर तप करने लगे।
- तप के बाद उन्होंने जाना कि 'विज्ञान' ही 'ब्रह्म' है।
- वरुण ऋषि ने उसकी सोच का समर्थन तो किया, पर उसे और तप करने के लिए कहा।
- तप ही 'ब्रह्म' है।
- उसी से तत्त्व को जाना जा सकता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली |
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तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली |
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