ल्यूलिन धूमकेतु: Difference between revisions
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'''ल्यूलिन धूमकेतु (Lulin Comet)''' अजीब से हरे रंग से चमकने वाला | [[चित्र:Lulin-NewMoon.gif|thumb|200px|right|ल्यूलिन धूमकेतु का पथ<br />Pathway of Lulin Comet]] | ||
यह धरती की निकटतम दूरी 38 करोड़ मील तक [[24 | '''ल्यूलिन धूमकेतु (Lulin Comet)''' अजीब से हरे रंग से चमकने वाला ख़ूबसूरत विरला धूमकेतु है, यह [[हरा रंग]] इस धूमकेतु के [[नाभिक]] से निकलने वाली ज़हरीली गैस '''सायानोजेन (Cyanogen / CN) और द्वि परमाणुवीय कार्बन (Diatomic Carbon / C2 )''' के कारण है जो लगभग शून्य जगह में, जब इन दोनों पर, [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] की किरणें पड़ती हैं तो यह [[पदार्थ]] हरे रंग में चमकने लगते हैं। इसलिये यह हरा लगता है। यह [[गैस]] अंतरिक्ष में [[बृहस्पति ग्रह]] के आकार जितने क्षेत्र में फैली हुई हैं। | ||
इस पुच्छल तारे की खोज [[2007]] में '''चीन और कोरिया के खगोलशास्त्रियों''' ने संयुक्त रूप से की थी, और औपचारिक रूप से इसे '''C / 2007 N 3''' नामकरण दिया गया है। इसका नाम कोरियन वेधशाला ल्यूलिन के नाम पर रखा गया है क्योंकि वहीं इसका सबसे पहले चित्र खींचा गया था। दरअसल ल्यूलिन की खोज का श्रेय '''ये ( YE )''' नाम के एक किशोर को दिया जाता है जो [[चीन]] स्थित मौसम पूर्वानुमान विभाग सन याट सेन विश्विद्यालय का छात्र है जिसने एक ताईवानी खगोलविद चाई सेंग लिंग द्वारा लुलिन वेधशाला से गगन गगन चक्रमण (स्काई पेट्रोलिंग) के दौरान खींचे चित्र में इसे अन्तरिक्ष के निस्सीम विस्तार में से खोज लिया था।<ref>{{cite web |url=http://indianscifiarvind.blogspot.com/2009/02/blog-post_22.html |title=लो आ गया लूलिन |accessmonthday=21 जनवरी |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=साईब्लाग [sciblog] |language=हिन्दी}}</ref> | |||
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इस पुच्छल तारे की खोज [[2007]] में '''चीन और कोरिया के खगोलशास्त्रियों''' ने संयुक्त रूप से की थी, और औपचारिक रूप से इसे '''C / 2007 N 3''' नामकरण दिया गया है। इसका नाम कोरियन वेधशाला ल्यूलिन के नाम पर रखा गया है क्योंकि वहीं इसका सबसे पहले चित्र खींचा गया था। दरअसल ल्यूलिन की खोज का श्रेय '''ये ( YE )''' नाम के एक किशोर को दिया जाता है जो [[चीन]] स्थित मौसम पूर्वानुमान विभाग सन याट सेन विश्विद्यालय का छात्र है जिसने एक ताईवानी खगोलविद चाई सेंग लिंग द्वारा लुलिन वेधशाला से गगन गगन चक्रमण (स्काई पेट्रोलिंग) के दौरान खींचे चित्र में इसे अन्तरिक्ष के निस्सीम विस्तार में से खोज लिया था।<ref>{{cite web |url=http://indianscifiarvind.blogspot.com/2009/02/blog-post_22.html |title=लो आ गया लूलिन |accessmonthday=21 जनवरी |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=साईब्लाग [sciblog] |language=[[हिन्दी]]}}</ref> | |||
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thumb|200px|right|ल्यूलिन धूमकेतु
Lulin Comet
thumb|200px|right|ल्यूलिन धूमकेतु का पथ
Pathway of Lulin Comet
ल्यूलिन धूमकेतु (Lulin Comet) अजीब से हरे रंग से चमकने वाला ख़ूबसूरत विरला धूमकेतु है, यह हरा रंग इस धूमकेतु के नाभिक से निकलने वाली ज़हरीली गैस सायानोजेन (Cyanogen / CN) और द्वि परमाणुवीय कार्बन (Diatomic Carbon / C2 ) के कारण है जो लगभग शून्य जगह में, जब इन दोनों पर, सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो यह पदार्थ हरे रंग में चमकने लगते हैं। इसलिये यह हरा लगता है। यह गैस अंतरिक्ष में बृहस्पति ग्रह के आकार जितने क्षेत्र में फैली हुई हैं।
यह धरती की निकटतम दूरी 38 करोड़ मील तक 24 फ़रवरी, 2009 को मध्यरात्रि के बाद दक्षिणी - पश्चिमी आकाश में लगभग 30 डिग्री पर ब्रह्म मूहूर्त में (शनि से बस कुछ ही अंश / कोण पर सिंह राशि में) यह हमारे सबसे क़रीब था। जिसे हम दूरबीन से आसानी से देख सकते थे। हम उस धूमकेतु के पूंछ वाले हिस्से को सबसे ज़्यादा देख सकते थे।
इस पुच्छल तारे की खोज 2007 में चीन और कोरिया के खगोलशास्त्रियों ने संयुक्त रूप से की थी, और औपचारिक रूप से इसे C / 2007 N 3 नामकरण दिया गया है। इसका नाम कोरियन वेधशाला ल्यूलिन के नाम पर रखा गया है क्योंकि वहीं इसका सबसे पहले चित्र खींचा गया था। दरअसल ल्यूलिन की खोज का श्रेय ये ( YE ) नाम के एक किशोर को दिया जाता है जो चीन स्थित मौसम पूर्वानुमान विभाग सन याट सेन विश्विद्यालय का छात्र है जिसने एक ताईवानी खगोलविद चाई सेंग लिंग द्वारा लुलिन वेधशाला से गगन गगन चक्रमण (स्काई पेट्रोलिंग) के दौरान खींचे चित्र में इसे अन्तरिक्ष के निस्सीम विस्तार में से खोज लिया था।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ लो आ गया लूलिन (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) साईब्लाग [sciblog]। अभिगमन तिथि: 21 जनवरी, 2011।