दार्शनिक दलबदलू -काका हाथरसी: Difference between revisions

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दार्शनिक दलबदलू -काका हाथरसी
कवि काका हाथरसी
जन्म 18 सितंबर, 1906
जन्म स्थान हाथरस, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 18 सितंबर, 1995
मुख्य रचनाएँ काका की फुलझड़ियाँ, काका के प्रहसन, लूटनीति मंथन करि, खिलखिलाहट आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
काका हाथरसी की रचनाएँ

आए जब दल बदल कर नेता नन्दूलाल
पत्रकार करने लगे, ऊल-जलूल सवाल
ऊल-जलूल सवाल, आपने की दल-बदली
राजनीति क्या नहीं हो रही इससे गँदली
नेता बोले व्यर्थ समय मत नष्ट कीजिए
जो बयान हम दें, ज्यों-का-त्यों छाप दीजिए

     समझे नेता-नीति को, मिला न ऐसा पात्र
     मुझे जानने के लिए, पढ़िए दर्शन-शास्त्र
     पढ़िए दर्शन-शास्त्र, चराचर जितने प्राणी
     उनमें मैं हूँ, वे मुझमें, ज्ञानी-अज्ञानी
     मैं मशीन में, मैं श्रमिकों में, मैं मिल-मालिक
     मैं ही संसद, मैं ही मंत्री, मैं ही माइक

हरे रंग के लैंस का चश्मा लिया चढ़ाय
सूखा और अकाल में 'हरी-क्रांति' हो जाय
'हरी-क्रांति' हो जाय, भावना होगी जैसी
उस प्राणी को प्रभु मूरत दीखेगी वैसी
भेद-भाव के हमें नहीं भावें हथकंडे
अपने लिए समान सभी धर्मों के झंडे

     सत्य और सिद्धांत में, क्या रक्खा है तात ?
     उधर लुढ़क जाओ जिधर, देखो भरी परात
     देखो भरी परात, अर्थ में रक्खो निष्ठा
     कर्तव्यों से ऊँचे हैं, पद और प्रतिष्ठा
     जो दल हुआ पुराना, उसको बदलो साथी
     दल की दलदल में, फँसकर मर जाता हाथी


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