आरती श्री उल्लूजी की -काका हाथरसी: Difference between revisions

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आरती श्री उल्लूजी की -काका हाथरसी
कवि काका हाथरसी
जन्म 18 सितंबर, 1906
जन्म स्थान हाथरस, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 18 सितंबर, 1995
मुख्य रचनाएँ काका की फुलझड़ियाँ, काका के प्रहसन, लूटनीति मंथन करि, खिलखिलाहट आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
काका हाथरसी की रचनाएँ

जय उल्लू पापा ! ओम् जय उल्लू पापा।
सब पक्षिन में श्रेष्ठ, अर्थ के फीते से नापा। ओम्...।

     श्याम सलोने मुख पर शोभित अँखियाँ द्वय ऐसे।
     चिपक रहीं प्राचीन चवन्नी चाँदी की जैसे। ओम्...।

लक्ष्मी-वाहक दरिद्र-नाशक महिमा जगजानी।
सरस्वती का हंस आपका भरता है पानी। ओम्..।

     अर्थवाद ने बुद्धिवाद के दाँत किए खट्टे।
     विद्वज्जन हैं दुखी, सुखी हैं सब ‘तुम्हरे पट्ठे’। ओम्...।

जब ‘पक्षी-सरकार’ बने तुम डबल सीट पाओ।
प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री खुद बन जाओ। ओम्...।

     सभी लखपती बनें, न हो कोई भूखा-नंगा।
     बहे देश के गाँव-गाँव में, नोटों की गंगा। ओम्...।

पूँजीवादी पक्षी तुम सम और नहीं दूजा।
वित्तमंत्री, नित्य आपकी करते हैं पूजा। ओम्...।

     उल्लू जी की आरति यदि राजा-रानी गाते।
     ‘काका’ उनके प्रिवीपर्स छिनने से बच जाते। ओम्...।


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