कुन्तल सातकर्णि: Difference between revisions

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*[[महेन्द्र सातकर्णि]] के बाद कुन्तल सातकर्णि (74 ई. से 83 ई. तक) राजा बना।  
'''कुन्तल सातकर्णि''' (74 ई. से 83 ई. तक) [[महेन्द्र सातकर्णि]] के बाद राजा बना।  
*इसके समय में फिर विदेशियों के आक्रमण भारत में प्रारम्भ हो गए।  
*इसके समय में फिर विदेशियों के आक्रमण भारत में प्रारम्भ हो गए।  
*जिन युइशि लोगों के आक्रमणों से [[शक]] लोग सीर नदी की घाटी के अपने पुराने निवास-स्थान को छोड़कर आगे बढ़ने के लिए विवश हुए थे, वे ही कालान्तर में हिन्दुकुश के पश्चिम में प्राचीन कम्बोज जनपद में बस गए थे। वहाँ के यवन निवासियों के सम्पर्क से युइशि लोग भी धीरे-धीरे सभ्य हो गए थे, और उन्नति के मार्ग पर बढ़ने लगे थे।  
*जिन युइशि लोगों के आक्रमणों से [[शक]] लोग सीर नदी की घाटी के अपने पुराने निवास-स्थान को छोड़कर आगे बढ़ने के लिए विवश हुए थे, वे ही कालान्तर में हिन्दुकुश के पश्चिम में प्राचीन कम्बोज जनपद में बस गए थे। वहाँ के यवन निवासियों के सम्पर्क से युइशि लोग भी धीरे-धीरे सभ्य हो गए थे, और उन्नति के मार्ग पर बढ़ने लगे थे।  
*जिस समय राजा [[वासिष्ठी पुत्र पुलुमावि]] ने [[कण्व वंश]] का अन्त कर [[मगध]] को विजय किया, लगभग उसी समय इन युइशियों में एक वीर पुरुष का उत्कर्ष हुआ, जिसका नाम [[कुषाण]] था। इस समय तक युइशियों के पाँच छोटे-छोटे जनपद थे, कुषाण ने इन सब को जीतकर एक सूत्र में संगठित किया और एक शक्तिशाली युइशि राज्य की नींव डाली।  
*जिस समय राजा [[वासिष्ठी पुत्र पुलुमावि]] ने [[कण्व वंश]] का अन्त कर [[मगध]] को विजय किया, लगभग उसी समय इन युइशियों में एक वीर पुरुष का उत्कर्ष हुआ, जिसका नाम [[कुषाण]] था। इस समय तक युइशियों के पाँच छोटे-छोटे जनपद थे, कुषाण ने इन सब को जीतकर एक सूत्र में संगठित किया और एक शक्तिशाली युइशि राज्य की नींव डाली।  
*सातवाहन साम्राज्य का क्षय और कुषाणों का उत्कर्ष का आरम्भ हुआ। विम स्वयं हिन्दुकुश के उत्तर-पश्चिम में [[कम्बोज]] देश में रहता था।  
*[[सातवाहन साम्राज्य]] का क्षय और कुषाणों का उत्कर्ष का आरम्भ हुआ। विम स्वयं हिन्दुकुश के उत्तर-पश्चिम में [[कम्बोज]] देश में रहता था।  
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*[[भारत]] के जीते हुए प्रदेश में उसके क्षत्रप राज्य करते थे।


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Latest revision as of 09:42, 28 September 2014

कुन्तल सातकर्णि (74 ई. से 83 ई. तक) महेन्द्र सातकर्णि के बाद राजा बना।

  • इसके समय में फिर विदेशियों के आक्रमण भारत में प्रारम्भ हो गए।
  • जिन युइशि लोगों के आक्रमणों से शक लोग सीर नदी की घाटी के अपने पुराने निवास-स्थान को छोड़कर आगे बढ़ने के लिए विवश हुए थे, वे ही कालान्तर में हिन्दुकुश के पश्चिम में प्राचीन कम्बोज जनपद में बस गए थे। वहाँ के यवन निवासियों के सम्पर्क से युइशि लोग भी धीरे-धीरे सभ्य हो गए थे, और उन्नति के मार्ग पर बढ़ने लगे थे।
  • जिस समय राजा वासिष्ठी पुत्र पुलुमावि ने कण्व वंश का अन्त कर मगध को विजय किया, लगभग उसी समय इन युइशियों में एक वीर पुरुष का उत्कर्ष हुआ, जिसका नाम कुषाण था। इस समय तक युइशियों के पाँच छोटे-छोटे जनपद थे, कुषाण ने इन सब को जीतकर एक सूत्र में संगठित किया और एक शक्तिशाली युइशि राज्य की नींव डाली।
  • सातवाहन साम्राज्य का क्षय और कुषाणों का उत्कर्ष का आरम्भ हुआ। विम स्वयं हिन्दुकुश के उत्तर-पश्चिम में कम्बोज देश में रहता था।
  • भारत के जीते हुए प्रदेश में उसके क्षत्रप राज्य करते थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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