बनारसी साड़ी -काका हाथरसी: Difference between revisions
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घटते-घटते जब पचास पै लाला आए। हमने फिर आधे करके पच्चीस लगाए॥ | घटते-घटते जब पचास पै लाला आए। हमने फिर आधे करके पच्चीस लगाए॥ | ||
लाला को जरि-बजरि के ज्ञान है गयो लुप्त। मारी साड़ी फेंक के, लैजा मामा | लाला को जरि-बजरि के ज्ञान है गयो लुप्त। मारी साड़ी फेंक के, लैजा मामा मुफ़्त। | ||
लैजा मामा | लैजा मामा मुफ़्त, कहे काका सों मामा। लाला तू दुकनदार है कै पैजामा॥ | ||
अपने सिद्धांतन पै काका अडिग रहेंगे। | अपने सिद्धांतन पै काका अडिग रहेंगे। मुफ़्त देओ तो एक नहीं द्वै साड़ी लेंगे॥ | ||
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==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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कवि-सम्मेलन के लए बन्यौ अचानक प्लान। काकी के बिछुआ बजे, खड़े है गए कान॥ |
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