मामा-भांजा मंदिर: Difference between revisions
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|चित्र का नाम=मामा-भांजा मंदिर | |||
|विवरण='मामा-भांजा मंदिर' [[छत्तीसगढ़]] के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। मंदिर '[[भारतीय पुरातत्त्व विभाग]]' की देखरेख में है। | |||
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|संबंधित लेख=[[छत्तीसगढ़]], [[बरसुर]] | |||
|अन्य जानकारी=कहा जाता है कि 'मामा' और 'भांजा' दो शिल्पकार थे, जिन्हें ये मंदिर सिर्फ एक दिन में ही पूरा करने का काम मिला था। | |||
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'''मामा-भांजा मंदिर''' [[छत्तीसगढ़|छत्तीसगढ़ राज्य]] के [[दन्तेवाड़ा ज़िला|दन्तेवाड़ा ज़िले]] में एक छोटे-से [[ग्राम]] [[बरसुर]] अथवा बारसुर में स्थित है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से यह एक है। यह मंदिर काफ़ी ऊँचा है। मंदिर अब जर्जर अवस्था में है और '[[भारतीय पुरातत्त्व विभाग]]' इसे सुधारने के कार्य में लगा हुआ है। | '''मामा-भांजा मंदिर''' [[छत्तीसगढ़|छत्तीसगढ़ राज्य]] के [[दन्तेवाड़ा ज़िला|दन्तेवाड़ा ज़िले]] में एक छोटे-से [[ग्राम]] [[बरसुर]] अथवा बारसुर में स्थित है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से यह एक है। यह मंदिर काफ़ी ऊँचा है। मंदिर अब जर्जर अवस्था में है और '[[भारतीय पुरातत्त्व विभाग]]' इसे सुधारने के कार्य में लगा हुआ है। | ||
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मामा-भांजा मंदिर
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विवरण | 'मामा-भांजा मंदिर' छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। मंदिर 'भारतीय पुरातत्त्व विभाग' की देखरेख में है। |
राज्य | छत्तीसगढ़ |
ज़िला | दन्तेवाड़ा |
स्थान | बरसुर |
संबंधित लेख | छत्तीसगढ़, बरसुर |
अन्य जानकारी | कहा जाता है कि 'मामा' और 'भांजा' दो शिल्पकार थे, जिन्हें ये मंदिर सिर्फ एक दिन में ही पूरा करने का काम मिला था। |
मामा-भांजा मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के दन्तेवाड़ा ज़िले में एक छोटे-से ग्राम बरसुर अथवा बारसुर में स्थित है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से यह एक है। यह मंदिर काफ़ी ऊँचा है। मंदिर अब जर्जर अवस्था में है और 'भारतीय पुरातत्त्व विभाग' इसे सुधारने के कार्य में लगा हुआ है।
- वैसे तो ये मंदिर शिव को समर्पित है, लेकिन इसका नाम 'मामा-भांजा मंदिर' है।
- कहा जाता है कि 'मामा' और 'भांजा' दो शिल्पकार थे, जिन्हें ये मंदिर सिर्फ एक दिन में ही पूरा करने का काम मिला था। उन दोनों ने मंदिर एक दिन में बना दिया था।
- मंदिर 'भारतीय पुरातत्त्व विभाग' की देखरेख में है, लेकिन यहाँ कोई बोर्ड आदि नहीं लगा है, जिससे कोई भी दिशा-निर्देश और मंदिर कब बना, क्यूँ बना, कैसे बना आदि का पता नहीं लग पाता।[1]
- 'मामा-भांजा मंदिर' काफ़ी ऊँचा है और इसमें ऊपर दो तरफ़ मामा और भांजा की भी पत्थर की मूर्तियां बनायीं गयी हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मंदिरों और तालाबों का शहर-बारसुर (हिन्दी) लूप होल। अभिगमन तिथि: 01 दिसम्बर, 2014।