छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-10: Difference between revisions

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*इस खण्ड में आत्मा-तुल्य अतिमृत्यु-रूप की सप्तविध साम की उपासना का वर्णन है, जो साधक परमात्मा-तुल्य अतिमृत्यु-रूप सप्तविध साम की उपासना करता है। वह आदित्य-रूप साम की ही उपासना करता है तथा आदित्यलोक को जीत लेता है।


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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-10
विवरण 'छान्दोग्य उपनिषद' प्राचीनतम दस उपनिषदों में नवम एवं सबसे बृहदाकार है। नाम के अनुसार इस उपनिषद का आधार छन्द है।
अध्याय द्वितीय
कुल खण्ड 24 (चौबीस)
सम्बंधित वेद सामवेद
संबंधित लेख उपनिषद, वेद, वेदांग, वैदिक काल, संस्कृत साहित्य
अन्य जानकारी सामवेद की तलवकार शाखा में छान्दोग्य उपनिषद को मान्यता प्राप्त है। इसमें दस अध्याय हैं। इसके अन्तिम आठ अध्याय ही छान्दोग्य उपनिषद में लिये गये हैं।

छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय दूसरे का यह दसवाँ खण्ड है।

  • इस खण्ड में आत्मा-तुल्य अतिमृत्यु-रूप की सप्तविध साम की उपासना का वर्णन है, जो साधक परमात्मा-तुल्य अतिमृत्यु-रूप सप्तविध साम की उपासना करता है। वह आदित्य-रूप साम की ही उपासना करता है तथा आदित्यलोक को जीत लेता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1

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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-7

खण्ड-1 से 15 | खण्ड-16 से 26

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-8

खण्ड-1 से 6 | खण्ड-7 से 15