आतंक -कुलदीप शर्मा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=|चित्र=K...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - " दुनियां " to " दुनिया ")
 
(7 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 7: Line 7:
|कवि =[[कुलदीप शर्मा]]  
|कवि =[[कुलदीप शर्मा]]  
|जन्म=  
|जन्म=  
|जन्म स्थान=([[ऊना, हिमाचल प्रदेश]])  
|जन्म स्थान=([[उना हिमाचल|उना]], [[हिमाचल प्रदेश]])  
|मुख्य रचनाएँ=  
|मुख्य रचनाएँ=  
|यू-ट्यूब लिंक=
|यू-ट्यूब लिंक=
Line 55: Line 55:
जिसके हाथ में है बन्दूक
जिसके हाथ में है बन्दूक
बहुत सारी आपदाओं
बहुत सारी आपदाओं
और डरावनी भविष्यवाणियों से घिरा
और डरावनी भविष्य वाणियों से घिरा
बैठा है समय.
बैठा है समय.
जबकि समय की नोक पर बैठा आदमी
जबकि समय की नोक पर बैठा आदमी
अभी भी चाहता है
अभी भी चाहता है
प्रदत्त समय में राष्ट्गान गाना़
प्रदत्त समय में राष्ट्रगान गाना़
बीमार पड़ोसी की मदद करना,
बीमार पड़ोसी की मदद करना,
मित्रों से गपशप करना
मित्रों से गपशप करना
Line 68: Line 68:
बच्चों को टाँगों पर झुलाते हुए लोरी सुनाना़
बच्चों को टाँगों पर झुलाते हुए लोरी सुनाना़
बिना जाने कि पहले ही भरी बैठी है बन्दूक
बिना जाने कि पहले ही भरी बैठी है बन्दूक
और उससे भी ज्यादा भरा बैठा है
और उससे भी ज़्यादा भरा बैठा है
वह आदमी़
वह आदमी़
बाढ़ या भूकम्प
बाढ़ या भूकम्प
Line 84: Line 84:
और भविष्य में उनके खिलने की सम्भावनाएँ  
और भविष्य में उनके खिलने की सम्भावनाएँ  
कितनी हैं ?
कितनी हैं ?
देखे कि जहॉं उन्हें  
देखे कि जहाँ उन्हें  
रौंदे जाने का खतरा सबसे ज्यादा है
रौंदे जाने का ख़तरा सबसे ज़्यादा है
वहीं सबसे ज्यादा खिले हैं फूल
वहीं सबसे ज़्यादा खिले हैं फूल
फूल मुस्करा रहे हैं जनपथ पर भी
फूल मुस्करा रहे हैं जनपथ पर भी
जहॉं से फौजियों को गुज़रना है कल
जहॉं से फ़ौजियों को गुज़रना है कल
भारी बूटों के साथ
भारी बूटों के साथ
प्रधानमन्त्री को सलामी देऩे
प्रधानमन्त्री को सलामी देऩे


बच्चो, होमवर्क के लिए नोट करो           
बच्चो, होमवर्क के लिए नोट करो           
जो कोई अपराध के अर्थषास्त्र की  
जो कोई अपराध के अर्थशास्त्र की  
व्याख्या करना जानता है
व्याख्या करना जानता है
मुङो बताए कि बुश और लादेन के  
मुङो बताए कि बुश और लादेन के  
Line 101: Line 101:
यह भी सच है  
यह भी सच है  
कि जिन हाथों में बन्दूक है इस समय  
कि जिन हाथों में बन्दूक है इस समय  
उन्होनें भी मोहलत ले रखी है बन्दूक से
उन्होंने भी मोहलत ले रखी है बन्दूक से
वे भी डरे हुए हैं बन्दूक से  
वे भी डरे हुए हैं बन्दूक से  
जिन्होंने समय को टाँग रखा है
जिन्होंने समय को टाँग रखा है
बन्दूक की नोक पर  
बन्दूक की नोक पर  
वे समय की नोक पर टंगे  
वे समय की नोक पर टंगे  
पूरी दुनियां में तलाश रहे हैं  
पूरी दुनिया में तलाश रहे हैं  
वह सकून भरा कोना
वह सकून भरा कोना
जिसे हमारे बुजुर्गों ने  
जिसे हमारे बुजुर्गों ने  
Line 124: Line 124:
{{समकालीन कवि}}
{{समकालीन कवि}}
[[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:कुलदीप शर्मा]][[Category:कविता]]
[[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:कुलदीप शर्मा]][[Category:कविता]]
[[Category:हिन्दी कविता]]
[[Category:पद्य साहित्य]]
[[Category:काव्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 11:49, 3 August 2017

आतंक -कुलदीप शर्मा
कवि कुलदीप शर्मा
जन्म स्थान (उना, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कुलदीप शर्मा की रचनाएँ

 
बच्चो ! एक कतार में बैठ जाओ
इस तरह बैठने से लगेगा तुम्हें
कि तुम सीख रहे हो देश-भक्ति
और यह भी कि इसके अतिरिक्त
और कुछ नहीं है सीखने के लिए
इस समय में
जो तुम्हारे पास है।

अच्छा बच्चो, जल्दी से अनुमान लगाओ
कि बन्दूक के साए तले
कितना प्यार सम्भव है
और यह भी कि कितनी देर
चुप बैठेगी बन्दूक और क्यों?
मुश्किल प्रश्न है यकीनन
पर बच्चो उससे भी बड़ी मुश्किल यह है कि
तुमसे ही पाना है मुङो इसका उत्तर।
तुम्हीं बता सकते हो कि
सामूहिक पाश्विकता की सरकारी उद्घोषणा से पहले
कितनी देर रहेगी स्थिति नियन्त्रण में ?
कब तक तुम तुम सुरक्षित लौट पाओगे घर?
कब तक तक हल जोतता रहेगा माधो?
जल्दी से अनुमान लगाओ
क्योंकि बहुत कम है समय
और बहुत भन्नाया है वह आदमी
जिसके हाथ में है बन्दूक
बहुत सारी आपदाओं
और डरावनी भविष्य वाणियों से घिरा
बैठा है समय.
जबकि समय की नोक पर बैठा आदमी
अभी भी चाहता है
प्रदत्त समय में राष्ट्रगान गाना़
बीमार पड़ोसी की मदद करना,
मित्रों से गपशप करना
अपने लिए एक घर बनाना
पत्नि और बच्चों के साथ
सकून से बैठकर बतियाना
और उज्ज्वल भविष्य की प्रत्याशा में
बच्चों को टाँगों पर झुलाते हुए लोरी सुनाना़
बिना जाने कि पहले ही भरी बैठी है बन्दूक
और उससे भी ज़्यादा भरा बैठा है
वह आदमी़
बाढ़ या भूकम्प
आग या अकाल से पहले ही
ध्वंस के लिए उद्वत़

इसीलिये कहता हूँ
कि जल्दी से अनुमान लगाओ
कितना समय है हमारे पास
प्यार के लिए
और यह भी कि प्यार के लिए
हमारे पास कुछ बचा भी है?
बच्चो ! भूमण्डल देखकर बताओ
कितने बचे हैं फूल
और भविष्य में उनके खिलने की सम्भावनाएँ
कितनी हैं ?
देखे कि जहाँ उन्हें
रौंदे जाने का ख़तरा सबसे ज़्यादा है
वहीं सबसे ज़्यादा खिले हैं फूल
फूल मुस्करा रहे हैं जनपथ पर भी
जहॉं से फ़ौजियों को गुज़रना है कल
भारी बूटों के साथ
प्रधानमन्त्री को सलामी देऩे

बच्चो, होमवर्क के लिए नोट करो
जो कोई अपराध के अर्थशास्त्र की
व्याख्या करना जानता है
मुङो बताए कि बुश और लादेन के
डी़एऩए़ में क्या समानता है
जबकि दोनों के होंठों पर है खून
औ’ दोनों के हाथों में बन्दूक
यह भी सच है
कि जिन हाथों में बन्दूक है इस समय
उन्होंने भी मोहलत ले रखी है बन्दूक से
वे भी डरे हुए हैं बन्दूक से
जिन्होंने समय को टाँग रखा है
बन्दूक की नोक पर
वे समय की नोक पर टंगे
पूरी दुनिया में तलाश रहे हैं
वह सकून भरा कोना
जिसे हमारे बुजुर्गों ने


सुरक्षित रखा था प्यार के लिए़
अब वे तुम्हारी ओर आ रहे हैं
तुमसे पूछने यह प्रश्न
कि समय कैसा है तुम्हारे लिए ?


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख