अयोग्य ऊँट: Difference between revisions
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'''[[ऊँट]]''' एक विशालकाय और बहुत ही सहनशील पशु है जो कैमलायडी कुल का सदस्य है जो मेमेलिया वर्ग में आती है। अरबी ऊँट के एक कूबड़ जबकि बैकट्रियन ऊँट के दो कूबड़ होते है। अरबी ऊँट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्तान क्षेत्रों के जबकि बैकट्रियन ऊँट मध्य और पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं। इसे '''रेगिस्तान का जहाज़''' भी कहते हैं। यह रेतीले तपते मैदानों में 21-21 दिन तक बिना पानी पिये चल सकता है। इसका उपयोग सवारी और सामान ढोने के काम आता है। | '''[[ऊँट]]''' एक विशालकाय और बहुत ही सहनशील पशु है जो कैमलायडी कुल का सदस्य है जो मेमेलिया वर्ग में आती है। अरबी ऊँट के एक कूबड़ जबकि बैकट्रियन ऊँट के दो कूबड़ होते है। अरबी ऊँट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्तान क्षेत्रों के जबकि बैकट्रियन ऊँट मध्य और पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं। इसे '''रेगिस्तान का जहाज़''' भी कहते हैं। यह रेतीले तपते मैदानों में 21-21 दिन तक बिना पानी पिये चल सकता है। इसका उपयोग सवारी और सामान ढोने के काम आता है। | ||
==न रखने योग्य ऊँट== | |||
* चांचियै : जिस ऊँट के होठ ओछे हों और दाँत बाहर निकले हों, वह चांचिया या चांपलौ ऊँट कहलाता है। ऐसा ऊँट धणीमार (मालिक के मरने वाला) के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार के ऊँट मौका पड़ने पर जंगल में जहाँ आसपास पे न हों, अपने सवार को पटक कर नीचे गिरा कर अपने दोनों घुटनों के बल पर बैठ जाता है और तब तक उसे दबाए रखता है जब तक धणी के प्राण न निकल जाएं। ऐसे ऊँट खरीदना तो दूर, लोग अपने पङौस में भी देखना नहीं चाहते हैं। ऐसा चांचिया ऊँट तो हजारों में एक होता है। | * चांचियै : जिस ऊँट के होठ ओछे हों और दाँत बाहर निकले हों, वह चांचिया या चांपलौ ऊँट कहलाता है। ऐसा ऊँट धणीमार (मालिक के मरने वाला) के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार के ऊँट मौका पड़ने पर जंगल में जहाँ आसपास पे न हों, अपने सवार को पटक कर नीचे गिरा कर अपने दोनों घुटनों के बल पर बैठ जाता है और तब तक उसे दबाए रखता है जब तक धणी के प्राण न निकल जाएं। ऐसे ऊँट खरीदना तो दूर, लोग अपने पङौस में भी देखना नहीं चाहते हैं। ऐसा चांचिया ऊँट तो हजारों में एक होता है। | ||
* छापरी : यह ऊँट काँपता रहता है। | * छापरी : यह ऊँट काँपता रहता है। | ||
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* गोड़ामार ऊँट : जो ऊँट रात में घुटने ठोकता रहता है। | * गोड़ामार ऊँट : जो ऊँट रात में घुटने ठोकता रहता है। | ||
* नैणझर ऊँट : ऐसे ऊँट की आँख से हमेशा पानी टपकता रहता है और उसे रात को कुछ भी न नहीं आता है। | * नैणझर ऊँट : ऐसे ऊँट की आँख से हमेशा पानी टपकता रहता है और उसे रात को कुछ भी न नहीं आता है। | ||
* नेसालौ (नेसालौ) : ऐसा ऊँट जिसके सभी अंगों पर काणेरा (आइठाण) आ गए हों | * नेसालौ (नेसालौ) : ऐसा ऊँट जिसके सभी अंगों पर काणेरा (आइठाण) आ गए हों अर्थात् वे पक गए हों और दर्द करते हों, नेसाला कहलाता है। | ||
* इकलासिया ऊँट : ऐसे ऊँट पर एक से ज्यादा सवारी नहीं की जा सकती है। | * इकलासिया ऊँट : ऐसे ऊँट पर एक से ज्यादा सवारी नहीं की जा सकती है। | ||
* रतियोड़ो ऊँट : ऊँट की यह सबसे भारी खोट मानी जा सकती है क्योंकि ऐसे ऊँट को पेशाब के स्थान पर सूजन रहती है। | * रतियोड़ो ऊँट : ऊँट की यह सबसे भारी खोट मानी जा सकती है क्योंकि ऐसे ऊँट को पेशाब के स्थान पर सूजन रहती है। |
Latest revision as of 07:52, 7 November 2017
ऊँट विषय सूची
अयोग्य ऊँट
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जगत | जंतु (Animalia) |
संघ | कौरडेटा (Chordata) |
वर्ग | स्तनधारी (Mammalia) |
गण | आर्टियोडैकटिला (Artiodactyla) |
कुल | कैमलिडाए (Camelidae) |
जाति | कैमेलस (Camelus) |
प्रजाति | बॅक्ट्रिऍनस (bactrianus) |
द्विपद नाम | कॅमलस बॅक्ट्रिऍनस (Camelus bactrianus) |
संबंधित लेख | गाय, भैंस, हाथी, घोड़ा, सिंह, बाघ |
अन्य जानकारी | अरबी ऊँट के एक कूबड़ जबकि बैकट्रियन ऊँट के दो कूबड़ होते है। अरबी ऊँट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्तान क्षेत्रों के जबकि बैकट्रियन ऊँट मध्य और पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं। इसे रेगिस्तान का जहाज़ भी कहते हैं। |
ऊँट एक विशालकाय और बहुत ही सहनशील पशु है जो कैमलायडी कुल का सदस्य है जो मेमेलिया वर्ग में आती है। अरबी ऊँट के एक कूबड़ जबकि बैकट्रियन ऊँट के दो कूबड़ होते है। अरबी ऊँट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्तान क्षेत्रों के जबकि बैकट्रियन ऊँट मध्य और पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं। इसे रेगिस्तान का जहाज़ भी कहते हैं। यह रेतीले तपते मैदानों में 21-21 दिन तक बिना पानी पिये चल सकता है। इसका उपयोग सवारी और सामान ढोने के काम आता है।
न रखने योग्य ऊँट
- चांचियै : जिस ऊँट के होठ ओछे हों और दाँत बाहर निकले हों, वह चांचिया या चांपलौ ऊँट कहलाता है। ऐसा ऊँट धणीमार (मालिक के मरने वाला) के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार के ऊँट मौका पड़ने पर जंगल में जहाँ आसपास पे न हों, अपने सवार को पटक कर नीचे गिरा कर अपने दोनों घुटनों के बल पर बैठ जाता है और तब तक उसे दबाए रखता है जब तक धणी के प्राण न निकल जाएं। ऐसे ऊँट खरीदना तो दूर, लोग अपने पङौस में भी देखना नहीं चाहते हैं। ऐसा चांचिया ऊँट तो हजारों में एक होता है।
- छापरी : यह ऊँट काँपता रहता है।
- डोलण : जैसे नाम से प्रतीत होता है, इस प्रकार का ऊँट दाहिने-बाएँ डोलता रहता है।
- जड़ो ऊँट : ऐसा ऊँट सवारी व भार ढोले की आदत नहीं रखता है।
- झूलण ऊँट : ऐसा ऊँट हमेशा झूलता रहता है, जिसे बड़ा दोष माना जाता है।
- तिसालौ ऊँट : इस प्रकार के ऊँट को तिबरसौ भी कहते हैं। ऐसा ऊँट पन्द्रह दिन ठीक रहता है तथा पन्द्रह दिन बीमार रहता है। ये रोग तीन बरस बीतने के बाद ज्यादातर ठीक हो जाता है।
- डागरौ ऊँट : ऐसा ऊँट बूढ़ा, मरियल तथा निकम्मा होता है।
- गोड़ामार ऊँट : जो ऊँट रात में घुटने ठोकता रहता है।
- नैणझर ऊँट : ऐसे ऊँट की आँख से हमेशा पानी टपकता रहता है और उसे रात को कुछ भी न नहीं आता है।
- नेसालौ (नेसालौ) : ऐसा ऊँट जिसके सभी अंगों पर काणेरा (आइठाण) आ गए हों अर्थात् वे पक गए हों और दर्द करते हों, नेसाला कहलाता है।
- इकलासिया ऊँट : ऐसे ऊँट पर एक से ज्यादा सवारी नहीं की जा सकती है।
- रतियोड़ो ऊँट : ऊँट की यह सबसे भारी खोट मानी जा सकती है क्योंकि ऐसे ऊँट को पेशाब के स्थान पर सूजन रहती है।
- लागत ऊँट : वह ऊँट जिसके अगले पाँव ईडर से रगड़ खाते हैं।
- बगली ऊँट : बैठते वक्त ऐसे ऊँट की खाल पेट से रगड़ती हो और जिससे धाव पड़ जाते हैं।
- रैनणौ ऊँट : यदि बैठा हुआ ऊँट रेत में लोटने लग जाए तथा जिसका वीर्य झर जाता हो और जो मरियल हो, उसे रैनणौ ऊँट कहते हैं।
- वत्रृगीव : टेढ़ा-मेढ़ा चलने वाला ऊँट।
- राफौ ऊँट : ऐसे ऊँट की पगथली में रस्सी (पीप) पड़ जाती है और सूजन रहती है।
- रबड़ौ ऊँट : बूढ़ा और बदशक्ल ऊँट।
- गोड़ाफो ऊँट : ऐसा ऊँट घुटनों को जमीन पर पटकता रहता है।
- रंदो ऊँट : ऐसे ऊँट जिसके पिछले पाँव के ऊपर की तरफ खो होती है।
- इरकियौ ऊँट : ऐसे ऊँट की इरकी उसकी छाती से रगड़ खाकर घाव बना लेती है।
- कामड़ीकसौ ऊँट : ऐसे ऊँट जो बेतों से मार खा-खाकर चलता हो। यह रखने अथवा पाले योग्य नही होता है।
- रगटल ऊँट : पिछले पाँव की नाड़ी चढ़ जाने के कारण उसकी चाल में उसके पाँव सही नहीं पड़ते हों, वह रगटल ऊँट कहलाता है।
- खोयलो ऊँट : जिस ऊँट की जट (बाल) उड़ने लगती है।
- सियाल ऊँट : चलते वक्त ऐसे ऊँट अगले पाँव के ऊपर जो के स्थान पर रग खाते हैं।
- इडरियों ऊँट : जिस ऊँट के इडर (अंग विशेष) में गड़बड़ हो।
- उखङ्योडौ ऊँट : घुटनों में कसर होने वाला ऊँट।
- कमरी ऊँट : पित्त पड़ा हुआ ऊँट जिसके उठने व बैठने में तकलीफ रहती है।
- कासलको ऊँट : वह ऊँट जो अपने दांत रगड़ता रहता है।
- रसपेङ्यों ऊँट : इस प्रकार के ऊँट के पाँव से जहरीला पानी निकलता रहता है।
- ढूसियौ ऊँट : इस तरह का ऊँट बीमारी में खाँसता रहता है।
उपर्युक्त प्रकार के ऊँट दोषयुक्त माने जाते हैं जिन्हें खरीदते समय इन सभी लक्षणों का पूरा ध्यान रखना चाहिए।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ न रखे जाने योग्य ऊँट (हिंदी) igcna.nic.in। अभिगमन तिथि: 26 अक्टूबर, 2017।
संबंधित लेख
- REDIRECT साँचा:जीव जन्तु