अरिस्तोफ़ानिज़: Difference between revisions
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'''अरिस्तोफ़ानिज़''' - (बीज़ांतियम्) ई.पू. 195 के आसपास सिकंदरिया के सुविख्यात पुस्तकालय का प्रधान अध्यक्ष। इस प्रकांड विद्वान् ने प्राय: सभी प्रमुख ग्रीक कवियों, नाटककारों और दार्शनिकों के ग्रंथों का संपादन किया था। कोशकार एवं वैयाकरण के रूप में भी इसकी विशेष ख्याति है। कुछ लोगों के मत में इसने ग्रीक भाषा के स्वरों (ऐक्सेंट्स) का आविष्कार किया था पर अन्य लोगों के मत में यह केवल उनका सुव्यवस्थापक था। प्राणिशास्त्र पर भी इसने पुस्तक लिखी थी। इसका जीवनकाल ई.पू. 257 से 180 तक माना जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या= | '''अरिस्तोफ़ानिज़''' - (बीज़ांतियम्) ई.पू. 195 के आसपास सिकंदरिया के सुविख्यात पुस्तकालय का प्रधान अध्यक्ष। इस प्रकांड विद्वान् ने प्राय: सभी प्रमुख ग्रीक कवियों, नाटककारों और दार्शनिकों के ग्रंथों का संपादन किया था। कोशकार एवं वैयाकरण के रूप में भी इसकी विशेष ख्याति है। कुछ लोगों के मत में इसने ग्रीक भाषा के स्वरों (ऐक्सेंट्स) का आविष्कार किया था पर अन्य लोगों के मत में यह केवल उनका सुव्यवस्थापक था। प्राणिशास्त्र पर भी इसने पुस्तक लिखी थी। इसका जीवनकाल ई.पू. 257 से 180 तक माना जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=236 |url=}}</ref><ref>सं.ग्रं.-जे.ई. सैंडीज़ : ए हिस्ट्री ऑव क्लासिकल स्कॉलर्शिप, 3 जिल्द, 1908।</ref> | ||
Latest revision as of 11:06, 1 June 2018
अरिस्तोफ़ानिज़ - (बीज़ांतियम्) ई.पू. 195 के आसपास सिकंदरिया के सुविख्यात पुस्तकालय का प्रधान अध्यक्ष। इस प्रकांड विद्वान् ने प्राय: सभी प्रमुख ग्रीक कवियों, नाटककारों और दार्शनिकों के ग्रंथों का संपादन किया था। कोशकार एवं वैयाकरण के रूप में भी इसकी विशेष ख्याति है। कुछ लोगों के मत में इसने ग्रीक भाषा के स्वरों (ऐक्सेंट्स) का आविष्कार किया था पर अन्य लोगों के मत में यह केवल उनका सुव्यवस्थापक था। प्राणिशास्त्र पर भी इसने पुस्तक लिखी थी। इसका जीवनकाल ई.पू. 257 से 180 तक माना जाता है।[1][2]
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