केन्द्रीय सूचना आयोग: Difference between revisions
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केन्द्रीय सूचना आयोग किसी भी व्यक्ति से प्राप्त शिकायत की जांच कर सकता है। मुख्य आयुक्त द्वारा संन्य अधीक्षण, निर्देशक तथा आयोग के प्रबंधन का कार्य किया जाता है, मुख्य सूचना आयुक्त की सहायता के लिए सूचना आयुक्त होते हैं। केन्द्रीय सूचना आयोग अपनी सूचना का अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन सम्बन्धी वार्षिक रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपता है। यह आयोग अपनी रिपोर्ट को [[संसद]] के दोनों सदनों में प्रस्तुत करता है। | |||
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*"राइट टू इन्फॉरमेशन" (आरटीआई) का अर्थ है- 'सूचना का अधिकार' और इसे [[संविधान]] की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है। | *"राइट टू इन्फॉरमेशन" (आरटीआई) का अर्थ है- 'सूचना का अधिकार' और इसे [[संविधान]] की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है। | ||
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*यदि सार्वजनिक प्राधिकरण RTI अधिनियम के मुताबिक़ कार्य नहीं करता, तो यह आयोग समन्वय को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठाने की अनुशंसा कर सकता है। | |||
*यह किसी व्यक्ति से शिकायत प्राप्त कर सकता है तथा उस शिकायत की जांच करवा सकता है। | |||
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केन्द्रीय सूचना आयोग का गठन 2005 में किया गया था। केन्द्रीय सूचना आयोग की स्थापना केंद्र सरकार ने वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), 2005 के तहत की गयी थी। स्वस्थ लोकतंत्र के शासन सम्बन्धी कार्यों में पारदर्शिता बनाये रखने में इस आयोग की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, दमन तथा सत्ता के दुरूपयोग को रोका जा सकता है। भारत की सरकार ने अपने नागरिकों के जीवन को सहज, सुचारु रखने और देश को पूरी तरह लोकतांत्रिक बनाने एवं सरकारी पारदर्शिता के लिए आरटीआई अधिनियम स्थापित किया था।
केन्द्रीय सूचना आयोग किसी भी व्यक्ति से प्राप्त शिकायत की जांच कर सकता है। मुख्य आयुक्त द्वारा संन्य अधीक्षण, निर्देशक तथा आयोग के प्रबंधन का कार्य किया जाता है, मुख्य सूचना आयुक्त की सहायता के लिए सूचना आयुक्त होते हैं। केन्द्रीय सूचना आयोग अपनी सूचना का अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन सम्बन्धी वार्षिक रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपता है। यह आयोग अपनी रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत करता है।
केन्द्रीय सूचना आयोग की शक्तियाँ व कार्य
- "राइट टू इन्फॉरमेशन" (आरटीआई) का अर्थ है- 'सूचना का अधिकार' और इसे संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है।
- आर.टी.आई. के तहत हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य करती है।[1]
- यह किसी भी तर्कसंगत मामले की छानबीन का आदेश दे सकता है।
- यह सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा निर्णय, निर्माण सुनिश्चित करवाता है।
- यदि सार्वजनिक प्राधिकरण RTI अधिनियम के मुताबिक़ कार्य नहीं करता, तो यह आयोग समन्वय को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठाने की अनुशंसा कर सकता है।
- यह किसी व्यक्ति से शिकायत प्राप्त कर सकता है तथा उस शिकायत की जांच करवा सकता है।
- यह अपने अंतर्गत किसी भी सरकारी कार्यालय के रिकॉर्ड की छानबीन कर सकता है। जांच-पड़ताल के दौरान इस आयोग के पास सिविल कोर्ट की शक्ति होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत की प्रमुख स्वतंत्र संस्थाएँ (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2012।